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जीएसटी में टैक्स स्लैब की संख्या घटाने का प्रस्ताव स्वीकार

नई दिल्ली में जीओएम की बैठक में जीएसटी में टैक्स स्लैब की संख्या घटाने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य मौजूदा चार टैक्स स्लैब को घटाकर दो करना है, जिससे आम जनता और छोटे व्यवसायों को लाभ होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बदलाव जीएसटी को अधिक पारदर्शी और विकास केंद्रित बनाएगा। जानें इस प्रस्ताव के संभावित प्रभाव और आगामी निर्णय के बारे में।
 

नई दिल्ली में जीओएम की बैठक

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सरल बनाने के लिए राज्यों के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक में गुरुवार को केंद्र सरकार द्वारा टैक्स स्लैब की संख्या कम करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया है।


बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में जीओएम के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया। इसका मुख्य उद्देश्य जीएसटी में मौजूदा चार टैक्स स्लैब (5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत) को घटाकर केवल दो (5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत) करना है।


नए जीएसटी ढांचे में दो दरें होंगी: मेरिट और स्टैंडर्ड। मेरिट में शामिल वस्तुओं और सेवाओं पर 5 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा, जबकि स्टैंडर्ड में शामिल वस्तुओं और सेवाओं पर 18 प्रतिशत का टैक्स लगेगा।


इसके अतिरिक्त, सिन गुड्स पर 40 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान भी है, जिसमें तंबाकू, सॉफ्ट ड्रिंक्स, फास्ट फूड और अन्य वस्तुएं शामिल हैं।


सिन टैक्स एक विशेष कर है, जिसका उद्देश्य लोगों को इन वस्तुओं के उपयोग से हतोत्साहित करना और उनके दुष्प्रभावों को कम करना है।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले दो दिवसीय मंत्रिसमूह की बैठक में कहा था कि एक सरल प्रणाली से आम जनता, किसानों, मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों को लाभ होगा, साथ ही जीएसटी को और अधिक पारदर्शी और विकास केंद्रित बनाया जा सकेगा।


इन परिवर्तनों के तहत, वर्तमान में 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आने वाली अधिकांश वस्तुएं 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आ जाएंगी।


इसी प्रकार, 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में अधिकांश वस्तुएं 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में स्थानांतरित होंगी, जिससे केंद्र को उम्मीद है कि अनुपालन में सुधार होगा और जटिलता कम होगी।


जीओएम ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट देने के केंद्र के सुझाव की भी समीक्षा की।


अधिकतर राज्यों ने इस सुझाव का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने बीमा कंपनियों द्वारा ग्राहकों को वास्तविक लाभ पहुंचाने के लिए सख्त निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया। इस छूट से वार्षिक राजस्व में लगभग 9,700 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।


सिफारिशों पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद की सितंबर में होने वाली अगली बैठक में लिया जाएगा।