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ट्रंप के टैरिफ नीतियों का बचाव: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री का बयान

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि ये नीतियाँ वैश्विक स्थिरता के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने ट्रंप के निर्णय को एक कूटनीतिक उपकरण के रूप में पेश किया और भारत से रूसी तेल के आयात को रोकने का आग्रह किया। यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट इन नीतियों की वैधता पर विचार कर रहा है। भारत ने अमेरिकी दबाव के चलते रूस से कच्चे तेल के आयात में कमी की है और अब अमेरिका से अधिक महंगे दामों पर तेल खरीद रहा है।
 

ट्रंप के फैसले का समर्थन


अमेरिकी वाणिज्य मंत्री का बयान


अमेरिका द्वारा हाल ही में लागू किए गए टैरिफ दरों का कई देशों की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस मुद्दे पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों का समर्थन करते हुए इसे एक उचित निर्णय बताया है।


भारत का उदाहरण

लुटनिक ने ट्रंप की नीतियों का बचाव करते हुए भारत का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ को एक कूटनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। इसके साथ ही, उन्होंने भारत से रूसी तेल के आयात को रोकने का आग्रह किया ताकि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में मदद मिल सके। लुटनिक ने यह भी कहा कि ट्रंप ने टैरिफ का उपयोग न्याय सुनिश्चित करने और वैश्विक स्थिरता को बहाल करने के लिए किया।


लुटकिन का बयान क्यों महत्वपूर्ण है

यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट यह विचार कर रहा है कि क्या ट्रंप द्वारा 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (आईईईपीए) के तहत लगाए गए टैरिफ नीतियां वैध हैं। लुटनिक ने कहा कि राष्ट्रपति इन टैक्सों का उपयोग न्याय सुनिश्चित करने के लिए कर रहे हैं।


भारत पर टैरिफ का प्रभाव

अगस्त में, ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ और रूसी तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया। भारत ने इस अमेरिकी कार्रवाई को अनुचित बताया।


भारत का तेल आयात

अमेरिकी दबाव के चलते, भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात में काफी कमी की है। अब भारत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खाड़ी देशों और अमेरिका से कच्चा तेल खरीद रहा है। अक्टूबर में, भारत ने अमेरिका से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल आयात किया, जो रूस से अधिक महंगा था।