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डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति: अमेरिका की आर्थिक ताकत का नया अध्याय

डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति का बचाव करते हुए अमेरिका को दुनिया की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि उनकी नीतियों के कारण कई कंपनियां अमेरिका लौट रही हैं। ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को कम करने के विचार को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि अब देर हो चुकी है। जानें इस नीति के पीछे के कारण और अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर इसके प्रभाव के बारे में।
 

अमेरिका की रीढ़: ट्रंप का दावा


टैरिफ नीति का बचाव


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपनी टैरिफ नीति का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका वैश्विक अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और उनके पहले कार्यकाल में इसे मजबूत किया गया था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान प्रशासन ने इसे कमजोर किया है। ट्रंप का मानना है कि उनकी टैरिफ नीति ने अमेरिका को आर्थिक रूप से सबसे शक्तिशाली बना दिया है।


टैरिफ नीति का प्रभाव

ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति को एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में पेश किया, जो अमेरिका को बातचीत में मजबूती प्रदान करती है। उन्होंने इसे एक 'जादुई हथियार' बताया, जिसके माध्यम से उन्होंने कई संघर्षों को टाला है।


कंपनियों का अमेरिका लौटना


ट्रंप ने यह भी कहा कि उच्च टैरिफ के कारण कई कंपनियां अमेरिका से बाहर उत्पादन कर रही थीं, लेकिन अब उनकी नीतियों के कारण हजारों कंपनियां अमेरिका में वापस आ रही हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि कई ऑटो कंपनियां चीन, मेक्सिको और कनाडा से अमेरिका में फैक्ट्रियां स्थापित कर रही हैं। इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं: कंपनियों की अमेरिका में स्थायी उपस्थिति, टैरिफ द्वारा सुरक्षा, और निर्माण पर अतिरिक्त कर का न होना।


भारत पर टैरिफ का असर

भारत के साथ व्यापार संबंध


ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वे भारत पर लगाए गए टैरिफ को कम करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं, हालांकि उन्होंने भारत के साथ अच्छे संबंधों का उल्लेख किया। पहले भारत के निर्यात पर 25% शुल्क लगाया गया था, जिसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया। इसका असर अमेरिका को भेजे जाने वाले भारतीय सामान पर पड़ा है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत ने अपने टैरिफ घटाने की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह कब हुआ। उन्होंने कहा, 'अब देर हो चुकी है। इसे पहले करना चाहिए था।'