×

ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियाँ: क्या है 'ग्रे जोन रणनीति'?

ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की सैन्य गतिविधियों में वृद्धि ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में कई चीनी सैन्य विमानों और जहाजों की गतिविधियों की पुष्टि की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीजिंग की 'ग्रे जोन रणनीति' का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ताइवान की सुरक्षा को कमजोर करना है। इस लेख में, हम ताइवान की प्रतिक्रिया और चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
 

चीन की सैन्य गतिविधियों का बढ़ता दबाव

Grey Zone Strategy: ताइवान जलडमरूमध्य में चीनी सैन्य गतिविधियों में वृद्धि ने सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं। ताइवान के रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने बताया कि पिछले 24 घंटों में चीन की ओर से कई सैन्य गतिविधियाँ देखी गईं। मंगलवार सुबह 6 बजे से लेकर बुधवार सुबह 6 बजे तक, ताइवान के आस-पास 13 सैन्य विमान, 6 नौसैनिक जहाज और एक सरकारी पोत की गतिविधियाँ दर्ज की गईं।


रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सभी 13 विमान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार करते हुए ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में प्रवेश कर गए। इसके जवाब में, ताइवान ने तुरंत अपने लड़ाकू विमानों को उड़ान भरने का आदेश दिया, नौसैनिक जहाजों को सक्रिय किया और तटीय मिसाइल रक्षा प्रणालियों को तैनात कर स्थिति पर नजर रखी।


धीरे-धीरे सैन्य दबाव

धीरे-धीरे सैन्य दबाव


विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीजिंग की 'ग्रे जोन रणनीति' का हिस्सा है। इस रणनीति के तहत, चीन बिना सीधे युद्ध के धीरे-धीरे सैन्य दबाव बढ़ाता है। इसका उद्देश्य ताइवान की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करना और यह देखना है कि ताइवान कितनी जल्दी और किस स्तर तक प्रतिक्रिया करता है। इस तरह की बढ़ती सैन्य मौजूदगी ताइवान पर मानसिक दबाव डालने का एक साधन बन रही है।


चीन की गतिविधियों का विश्लेषण

चीन की गतिविधियाँ


एमएनडी के अनुसार, सितंबर में इन गतिविधियों में काफी वृद्धि हुई है। इस महीने अब तक 134 चीनी विमान और 68 नौसैनिक जहाज ताइवान के निकट देखे जा चुके हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि चीन अपनी गतिविधियों को तेज़ कर रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बीजिंग का लक्ष्य लगातार सैन्य दबाव बनाए रखना और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शक्ति का संदेश देना है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2020 से चीन लगातार इस तरह की कार्रवाइयाँ कर रहा है। हालाँकि, ये कदम प्रत्यक्ष युद्ध को भड़काने के बजाय संप्रभुता को चुनौती देने के रूप में देखे जाते हैं। ताइवान ने स्पष्ट किया है कि वह अपने हवाई और समुद्री क्षेत्र की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा और पीएलए के किसी भी खतरे का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।