नेपाल में जेन जेड के नेतृत्व में ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शनों का प्रभाव
नेपाल में युवा आंदोलन का उदय
नेपाल में जेन जेड द्वारा आयोजित ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को सत्ता से हटा दिया है। युवा प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक और सामाजिक सुधारों की मांग की है, जिसमें पिछले तीन दशकों में राजनेताओं द्वारा लूटे गए संसाधनों की जांच और शासन में बदलाव शामिल हैं। यह आंदोलन केवल एक सरकार के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह देश के भविष्य और नई पीढ़ी की आकांक्षाओं का प्रतीक बन गया है.
शहीदों को सम्मान देने की घोषणा
आंदोलन के आयोजकों ने यह घोषणा की है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले सभी व्यक्तियों को आधिकारिक तौर पर शहीद का दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवारों को राजकीय सम्मान और राहत प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, बेरोजगारी, पलायन और सामाजिक अन्याय के मुद्दों से निपटने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाने का भी वादा किया गया है.
आंदोलन का उद्देश्य
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन किसी पार्टी या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी और राष्ट्र के भविष्य के लिए है। उन्होंने कहा कि देश में शांति आवश्यक है, लेकिन यह केवल एक नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव पर ही संभव है।
प्रमुख मांगें
प्रदर्शनकारियों ने कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं, जो नेपाल के राजनीतिक ढांचे को नया रूप देने की दिशा में एक कदम हैं। इनमें शामिल हैं:
- संसद का तत्काल विघटन: वर्तमान प्रतिनिधि सभा ने जनता का विश्वास खो दिया है।
- संविधान में संशोधन या पुनर्लेखन: नागरिकों, विशेषज्ञों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ संविधान को फिर से लिखने की मांग।
- निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव: अंतरिम अवधि के बाद नए सिरे से चुनाव कराए जाएं, जो जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी पर आधारित हों।
- प्रत्यक्ष रूप से चुने गए कार्यकारी नेतृत्व की स्थापना: शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए।
- लूटी गई संपत्तियों की जांच: पिछले तीन दशकों में अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को राष्ट्रीयकरण करने की मांग।
- संस्थागत सुधार: शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, सुरक्षा और संचार जैसे पांच मूलभूत संस्थानों में संरचनात्मक सुधार।
हिंसक प्रदर्शनों का दौर
नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के एक दिन बाद, सेना के जवान काठमांडू और अन्य शहरों में तैनात हो गए। उन्होंने प्रतिबंधात्मक आदेशों को लागू करने और शांति बहाल करने का कार्य शुरू किया। इस प्रदर्शन के कारण प्रधानमंत्री के.पी. ओली को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा।
हालांकि, मौजूदा शासन के पतन के बावजूद, देश में अशांति जारी रही। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर उसे आग लगा दी। सेना ने देशव्यापी सुरक्षा अभियानों की कमान संभाली और अशांति को नियंत्रित करने के लिए कई क्षेत्रों में प्रतिबंध लगा दिए।
ओली का इस्तीफा
ओली ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके कार्यालय पर धावा बोलने के तुरंत बाद इस्तीफा दिया। इस दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शनों में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई थी।