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पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए जीएसटी सुधार: वित्त मंत्री सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोलकाता में 'नेक्स्ट जेन जीएसटी' कार्यक्रम में जीएसटी सुधारों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि नए जीएसटी अनुपालन का उद्देश्य विशेष रूप से पूजा के अवसर को ध्यान में रखते हुए है। इसके तहत बंगाल की विशिष्ट वस्तुओं पर जीएसटी दरें घटाई गई हैं, जिससे स्थानीय कारीगरों को लाभ होगा। सीतारमण ने जीएसटी की दरों की समीक्षा की आवश्यकता और भविष्य में एकल जीएसटी दर की संभावना पर भी प्रकाश डाला।
 

कोलकाता में जीएसटी पर चर्चा

कोलकाता: कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय के भाषा भवन में आयोजित 'नेक्स्ट जेन जीएसटी' कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि जीएसटी की दरें हमेशा एक योजना के तहत निर्धारित की गई हैं और इसके पीछे गहन विचार-विमर्श हुआ है।


सीतारमण ने पश्चिम बंगाल के संदर्भ में बताया कि 22 सितंबर को लागू होने वाला नया जीएसटी अनुपालन विशेष रूप से पूजा के अवसर को ध्यान में रखकर बनाया गया है। प्रारंभ में कुछ लोगों ने इसे 10 सितंबर से लागू करने की इच्छा जताई थी, लेकिन अंततः इसे महालया और नवरात्रि के पहले दिन से लागू करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने सवाल उठाया, "क्या आप बंगाल के इस प्रभाव को नजरअंदाज कर सकते हैं?"


उन्होंने बंगाल की विशिष्ट सांस्कृतिक और हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जीएसटी दरों में कटौती का उल्लेख करते हुए कहा कि 11 विशेष बंगाली उत्पादों की दरें 5 प्रतिशत कर दी गई हैं। इनमें शांतिनिकेतन की चमड़े की वस्तुएं, बांकारा टेराकोटा शिल्प, मधुर्कटी माच, पुरुलिया चौ मुखौटे, दिनाजपुर के लकड़ी के मुखौटे, मालदा के प्रसंस्कृत आम, दार्जिलिंग चाय और जूट बैग्स शामिल हैं। सीतारमण ने कहा कि इन कटौतियों से पश्चिम बंगाल के कारीगरों और उत्पादकों को काफी लाभ होगा।


उन्होंने कहा कि जीएसटी की दरों की समीक्षा की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि इसका उद्देश्य मध्यम वर्ग और किसानों को लाभ पहुंचाना था। इसके साथ ही, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी राहत प्रदान करना आवश्यक था। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी सुधार का अंतिम लक्ष्य देश की अर्थव्यवस्था के व्यापक हित में था।


वित्त मंत्री ने भविष्य में एक एकल जीएसटी दर की संभावना की बात की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में जैसलमेर में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर कुछ दरों की समीक्षा की गई थी। यह कदम जमीनी स्तर पर कुछ समस्याओं को हल करने के लिए उठाया गया था।


सीतारमण ने कहा, "जीएसटी काउंसिल एक संवैधानिक संस्था है। प्रधानमंत्री ने लाल किले से जो बयान दिया था, वह केवल एक संकेत था, उन्होंने दरें तय नहीं की थीं। विपक्ष के कई राज्य, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, स्लैब कटौती और स्वास्थ्य योजना की छूट जैसी बातों पर हमारे साथ थे। कई बार समर्थन अनाम रूप में भी मिलता है।"


उन्होंने बताया कि जीएसटी काउंसिल में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी सरकार की है, जबकि दो तिहाई हिस्सेदारी विपक्ष की है।


निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्यों ने मिलकर जीएसटी स्लैब घटाने के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। उन्होंने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को व्यक्तिगत पत्र भी भेजे। उन्होंने कहा कि किसी ने भी व्यक्तिगत आय पर कर दरों में कटौती की कल्पना नहीं की थी। विभाग लगातार टैक्स सुधारों की समीक्षा कर रहा है।


उन्होंने कहा, "ब्यूरोक्रेट्स काम करते हैं और नेताओं को समर्थन देना होता है। प्रधानमंत्री ने जीएसटी की सरलता की बात कही थी और देश के हर नागरिक पर इसका असर पड़ा है।"


सीतारमण ने यह भी बताया कि 90 प्रतिशत जीएसटी रिफंड अब स्वचालित रूप से दिया जाएगा, जबकि केवल 10 प्रतिशत मामलों में जांच की जाएगी ताकि सही व्यक्ति को रिफंड मिले। उन्होंने विपक्षी पार्टियों से अपील की कि वे जीएसटी काउंसिल के संवैधानिक अधिकार का सम्मान करें और राजनीतिक विवादों को पीछे छोड़कर देशहित में काम करें।


इस अवसर पर वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि जीएसटी सुधारों का मूल उद्देश्य देश के मध्यम वर्ग, किसानों, एमएसएमई और पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है। उन्होंने कहा, "ये सुधार सभी नागरिकों के लिए सकारात्मक बदलाव लाएंगे।"