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पाकिस्तान ने अमेरिका को भेजी दुर्लभ खनिजों की पहली खेप

पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ 500 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत दुर्लभ खनिजों की पहली खेप भेजी है, लेकिन यह सौदा विवादों में घिर गया है। इमरान खान की पार्टी ने इसे 'राष्ट्रहित के खिलाफ' करार दिया है और सरकार से पारदर्शिता की मांग की है। जानें इस सौदे के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

पाकिस्तान का दुर्लभ खनिज सौदा अमेरिका के साथ

पाकिस्तान ने अमेरिका को भेजी दुर्लभ खनिजों की पहली खेप: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ 500 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत दुर्लभ खनिजों की पहली खेप भेजी है। यह सौदा पाकिस्तान की सैन्य इंजीनियरिंग इकाई फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) और अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स (USSM) के बीच हुआ है।


हालांकि, यह सौदा पाकिस्तान में विवाद का कारण बन गया है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने इसे 'राष्ट्रहित के खिलाफ गोपनीय सौदा' करार दिया है और सरकार से पारदर्शिता की मांग की है।


पहली खेप के साथ बढ़ा विवाद

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, अमेरिका को भेजी गई पहली खेप में एंटीमोनी, कॉपर कंसन्ट्रेट और दुर्लभ खनिज जैसे नियोडिमियम और प्रसीओडिमियम शामिल हैं। यह पाकिस्तान के लिए आर्थिक संभावनाओं की नई शुरुआत मानी जा रही थी, लेकिन राजनीतिक विपक्ष ने इसे सवालों के घेरे में ला दिया है। अमेरिकी कंपनी USSM ने इसे 'दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का महत्वपूर्ण कदम' बताया है।


कंपनी का कहना है कि यह समझौता पाकिस्तान में खनन से लेकर रिफाइनिंग तक पूरे खनिज वैल्यू चेन को विकसित करेगा। लेकिन विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह साझेदारी पारदर्शी नहीं है और इसमें पाकिस्तान की जमीन और संसाधनों का भविष्य दांव पर लगाया जा रहा है।


पीटीआई ने बताया 'राष्ट्रहित से समझौता'

इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने सरकार से इस डील की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की है। पार्टी के सूचना सचिव शेख वकास अकरम ने कहा कि संसद और जनता को इन समझौतों की जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिकी कंपनियों के साथ 'गुप्त सौदे' कर पाकिस्तान की संपत्ति विदेशी हाथों में सौंपी जा रही है।


पीटीआई ने चेतावनी दी है कि यह समझौते 'ब्रिटिश उपनिवेशकाल की तरह एक नई आर्थिक गुलामी' की ओर ले जा सकते हैं। अकरम ने कहा, 'मुगल सम्राट जहांगीर ने जब सूरत पोर्ट पर ब्रिटिशों को व्यापारिक अधिकार दिए थे, तो नतीजा हमें मालूम है, अब वही गलती दोहराई जा रही है।'


पासनी पोर्ट पर भी उठे सवाल

यह विवाद केवल खनिज सौदे तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान अमेरिका को बलूचिस्तान के पासनी पोर्ट तक पहुंच देने पर विचार कर रहा है। यह वही इलाका है जहां चीन समर्थित ग्वादर पोर्ट मौजूद है। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, इस प्रस्ताव के बाद पाकिस्तानी राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है।


पार्टियां और रणनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के एकतरफा सौदे पाकिस्तान की भौगोलिक सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे 'बेखौफ और एकतरफा निर्णय' देश की नाजुक आर्थिक स्थिति को और अस्थिर कर देंगे।


'व्हाइट हाउस' में हुई बैठक के बाद मचा बवाल

इस विवाद को और बढ़ावा तब मिला जब व्हाइट हाउस से जारी एक तस्वीर में डोनाल्ड ट्रंप को एक बॉक्स में रखे रॉक सैंपल्स (Rare Earth Samples) को देखते हुए दिखाया गया। तस्वीर में पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर कुछ समझाते नजर आए और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मुस्कुराते दिखे।


विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान, अमेरिका को अपने दुर्लभ खनिज संसाधन दिखाकर आर्थिक राहत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, पिछले कई वर्षों में पाकिस्तान में खनिज संपदा के दावों पर काम करने वाली कई विदेशी कंपनियां संसाधन न मिलने के कारण प्रोजेक्ट छोड़ चुकी हैं।