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बायजूस के संस्थापक बायजू रवींद्रन को अमेरिकी अदालत से बड़ा झटका

बायजूस के संस्थापक बायजू रवींद्रन को अमेरिकी अदालत से एक बड़ा झटका लगा है, जिसमें उन्हें 1.07 बिलियन डॉलर चुकाने का आदेश दिया गया है। यह मामला 2021 में लिए गए टर्म लोन के गलत ट्रांसफर से जुड़ा है। रवींद्रन ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है और अपील करने की योजना बनाई है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और बायजूस की वर्तमान स्थिति के बारे में।
 

बायजू रवींद्रन को अदालत का आदेश

बायजूस के संस्थापक बायजू रवींद्रन को अमेरिका की दिवालिया अदालत से एक और गंभीर झटका लगा है। हाल ही में, डेलावेयर की अदालत ने उन्हें 1.07 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि चुकाने का आदेश दिया है। रवींद्रन ने इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है और अपील करने की योजना बनाई है।


कर्ज के विवाद का मामला

यह आदेश उस मामले से संबंधित है, जिसमें 2021 में लिए गए 1.2 बिलियन डॉलर के टर्म लोन का एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर गलत तरीके से ट्रांसफर होने का आरोप है। ऋणदाताओं ने इस राशि को वापस लाने के लिए कानूनी कार्रवाई की थी। अदालत ने पाया कि बायजूस की अमेरिकी शाखा से 2022 में लगभग 533 मिलियन डॉलर ट्रांसफर हुए थे, जो बाद में वापस नहीं आए। इसके अलावा, अदालत ने एक अलग निवेश हिस्सेदारी में गंभीर अनियमितताओं का भी उल्लेख किया है, जिसकी कीमत लगभग 540 मिलियन डॉलर है।


अदालत के आदेश का पालन न करने का आरोप

इस मामले में ऋणदाताओं ने आरोप लगाया कि रवींद्रन और उनकी टीम ने अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया, कई सुनवाइयों में भाग नहीं लिया और दस्तावेज़ अधूरे प्रस्तुत किए। इसी आधार पर अदालत ने डिफॉल्ट जजमेंट जारी किया, जिसकी सुनवाई 29 सितंबर को हुई थी और आदेश 20 नवंबर को जारी किया गया।


रवींद्रन का बयान

रवींद्रन के कानूनी सलाहकार ने कहा कि अदालत ने सभी तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया और बिना सुनवाई के आदेश पारित किया। उनका कहना है कि विवादित राशि का उपयोग निजी लाभ के लिए नहीं किया गया, बल्कि कंपनी थिंक एंड लर्न के संचालन में लगाया गया। इसके अलावा, वे ग्लास ट्रस्ट और अन्य पक्षों के खिलाफ 2.5 बिलियन डॉलर के नुकसान का दावा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।


बायजूस की स्थिति

कुछ साल पहले बायजूस भारत की सबसे मूल्यवान स्टार्टअप कंपनी मानी जाती थी, जिसकी वैल्यूएशन 22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी। लेकिन पिछले दो वर्षों में कंपनी ने कई कानूनी विवादों, फंडिंग की कमी, बड़े पैमाने पर छंटनी और प्रबंधन विवादों का सामना किया है। निवेशक लगातार दबाव बना रहे हैं और उधारदाताओं के साथ खींचतान जारी है, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।


अदालत का अंतिम आदेश

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रवींद्रन का व्यवहार मामले को और जटिल बना रहा है। उन्होंने पहले दिए गए जुर्माने का पालन नहीं किया, जिसमें प्रति दिन 10,000 डॉलर का दंड शामिल था। अदालत ने कहा कि यह राहत असाधारण है क्योंकि मामला बेहद असामान्य परिस्थितियों में सामने आया है।


आगे की प्रक्रिया

सभी पक्षों को इस आदेश पर अपनी औपचारिक प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है, जिसके बाद आगे की सुनवाई तय की जाएगी।