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बाल विवाह पर जागरूकता कार्यक्रम: छात्रों को कानूनी जानकारी दी गई

चरखी दादरी में आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में छात्रों को बाल विवाह के दुष्प्रभावों और कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और समाज में इस कुप्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाना था। जानें इस कार्यक्रम में क्या-क्या हुआ और कैसे छात्रों ने इस मुद्दे पर संकल्प लिया।
 

बाल विवाह निषेध पर जागरूकता कार्यक्रम


चरखी दादरी समाचार: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायाधीश नरेश कुमार और जिला मुख्य दंडाधिकारी संजीव काजला के मार्गदर्शन में, गांव शिशवाला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सोमवार को बाल विवाह निषेध पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन पैनल अधिवक्ता रेनू सांगवान और अधिकार रक्षक रोहतास शर्मा ने किया।


अधिवक्ता रेनू सांगवान ने विद्यार्थियों को बताया कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है, बल्कि यह बच्चों के जीवन, शिक्षा और भविष्य के अधिकारों का उल्लंघन भी करता है।


बाल विवाह के दुष्प्रभाव


उन्होंने बताया कि चाइल्ड मैरिज एक्ट, 2025 के अनुसार, लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है। इससे कम उम्र में विवाह करना दंडनीय अपराध है, जिसमें विवाह कराने वाले पर भी कठोर कार्रवाई की जा सकती है। अधिकार रक्षक रोहतास शर्मा ने विद्यार्थियों को समझाया कि बाल विवाह का स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को अपनी शिक्षा पूरी करने और समाज में सशक्त नागरिक बनने का अधिकार है।


उन्होंने विद्यार्थियों से यह भी कहा कि यदि उन्हें किसी भी स्थान पर बाल विवाह की जानकारी मिले, तो तुरंत विधिक सेवा प्राधिकरण या संबंधित अधिकारियों को सूचित करें। इस अवसर पर विद्यालय के अध्यापक प्रवक्ता स्नेहलता और सुनील कुमार ने पैनल अधिवक्ता और अधिकार रक्षक का स्वागत किया और इस पहल की सराहना की।


कार्यक्रम में विद्यालय के अन्य अध्यापक और छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे।