×

बीएसई सेंसेक्स: निवेशकों के लिए स्थिरता और भविष्य की संभावनाएं

बीएसई सेंसेक्स पिछले 12 महीनों में स्थिर रहा है, जिससे निवेशकों को संतोषजनक रिटर्न नहीं मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर मुनाफा और विदेशी निवेशकों की निकासी ने बाजार को प्रभावित किया है। हालांकि, घरेलू निवेशकों की सक्रियता ने बाजार को गिरने से बचाया है। भविष्य में विदेशी निवेशकों की वापसी और कंपनियों की कमाई में सुधार से बाजार में तेजी की उम्मीद है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और भविष्य की संभावनाएं।
 

बीएसई सेंसेक्स की वर्तमान स्थिति

BSE-Sensex: बीएसई सेंसेक्स पिछले 12 महीनों में लगभग स्थिर रहा है और निवेशकों को संतोषजनक रिटर्न नहीं दे पाया. आईटी और जीएसटी में राहत के बावजूद बाजार में सुस्ती बनी रही. विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर मुनाफा और विदेशी निवेशकों की निकासी ने प्रदर्शन को प्रभावित किया है. हालांकि, घरेलू निवेशकों की सक्रियता ने बाजार को पूरी तरह दबने से बचाया.


कमजोर मुनाफा और विदेशी निवेश

पिछले वर्ष कंपनियों की आय उम्मीद से कम रही, जबकि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि ने भी कंपनियों पर दबाव डाला। विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से लगभग 20 अरब डॉलर की निकासी की, लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग 62 अरब डॉलर का निवेश किया। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर बुनियादी बातें और विदेशी निवेशकों की सतर्कता ने बाजार में सुस्ती पैदा की। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी पिछले वर्ष में 4% से अधिक घट गए।


उच्च वैल्यूएशन और बाजार की स्थिति

ऊंचा वैल्यूएशन और बाजार की स्थिति

कई बार कंपनियों के दाम स्थिर रहने या गिरने के बावजूद वैल्यूएशन ऊंचा बना रहता है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के देवर्ष वकील के अनुसार, निफ्टी 50 की कंपनियों की कमाई केवल 8% बढ़ी, जो अपेक्षा से कम है। शहरी मांग में देरी और कच्चे माल की लागत में वृद्धि ने भी कंपनियों के प्रदर्शन को प्रभावित किया। कोरोना के बाद मांग में तेजी आई थी, जिससे वैल्यूएशन में बढ़ोतरी हुई। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह लंबे समय के निवेशकों के लिए अवसर है.


वैश्विक अनिश्चितता और एफपीआई का रुख

वैश्विक अनिश्चितता और एफपीआई का रुख

अमेरिका के साथ व्यापार तनाव और वैश्विक नीतिगत अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों को सतर्क कर दिया है। वे अब सस्ते उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर म्यूचुअल फंड निवेश नहीं होता, तो एफपीआई की बिकवाली का असर और गंभीर होता। म्यूचुअल फंड और एसआईपी निवेश ने बाजार को स्थिर रखा।


भविष्य की संभावनाएं

क्या हैं भविष्य की उम्मीदें?

विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशकों की वापसी और कंपनियों की कमाई में सुधार से बाजार में तेजी आएगी। सरकार और निजी क्षेत्र की पूंजीगत व्यय की घोषणाएं खपत बढ़ाएंगी और कमाई में सुधार आएगा। आने वाले तिमाहियों में धीरे-धीरे बाजार में सुधार की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2026-27 में अच्छी कमाई की संभावना है, लेकिन वैल्यूएशन अभी भी महंगा बना हुआ है.