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ब्राजील ने अमेरिकी टैरिफ का सामना कैसे किया, क्या भारत भी सीख लेगा?

अमेरिका द्वारा ब्राजील पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के जवाब में ब्राजील सरकार ने 'संप्रभु ब्राजील' योजना की शुरुआत की है, जिसमें 30 अरब रियाल की आर्थिक सहायता शामिल है। इस योजना का उद्देश्य स्थानीय निर्यातकों को राहत प्रदान करना है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है और भारत को क्या सीखने की आवश्यकता है।
 

अमेरिका ने ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया


बिजनेस न्यूज़ : जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका ने कई ऐसे निर्णय लिए हैं, जिन्होंने न केवल अमेरिका के व्यापार को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी हलचल पैदा कर दी है। ट्रंप ने नए टैरिफ दरों की घोषणा की, जो 75 देशों पर लागू हुईं, जिनमें भारत और ब्राजील शामिल हैं।


अमेरिका ने ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है, जो 9 जुलाई से प्रभावी हो गया।


ब्राजील ने उठाया बड़ा कदम

ब्राजील सरकार ने अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के खिलाफ एक नई योजना 'संप्रभु ब्राजील' शुरू की है। इस योजना के तहत, सरकार ने 30 अरब रियाल (लगभग 5.5 अरब अमेरिकी डॉलर) की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने इसे निर्यातकों की मदद के लिए पहला कदम बताया है।


उन्होंने कहा कि संकट के समय में घबराने के बजाय नए उपायों की आवश्यकता होती है।


संप्रभु ब्राजील योजना का कार्यान्वयन

इस योजना के तहत, ब्राजील के निर्यातकों को 30 अरब रियाल का कर्ज पैकेज मिलेगा, जिससे अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित कंपनियों को राहत मिलेगी। इसके अलावा, टैक्स में छूट, छोटे और मझोले व्यवसायों को 2026 तक 5 अरब रियाल के टैक्स क्रेडिट, रद्द किए गए ऑर्डरों पर बीमा कवरेज और घरेलू सरकारी खरीद को बढ़ावा दिया जाएगा।


अमेरिका का तर्क और ब्राजील की प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राजील के कई उत्पादों पर 50% आयात शुल्क लगाने का कारण ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो की न्यायिक स्थिति को बताया है। हालांकि, ब्राजील सरकार ने इस निर्णय की आलोचना की है और कहा है कि इन प्रतिबंधों का कोई वैध आधार नहीं है।


भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। वे कहते हैं कि व्यापार के मायने तेजी से बदल रहे हैं और यदि किसी एक बाजार में समस्या है, तो अन्य बाजारों में अवसर खुल रहे हैं। इससे भारतीय निर्यातक और अर्थव्यवस्था जल्द ही इस दौर से बाहर आ सकती है।