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भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: क्या 10% टैरिफ हटेगा?

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में 10% बेसलाइन टैरिफ हटाने की मांग प्रमुखता से उठाई जा रही है। भारत ने अमेरिका से न केवल इस टैरिफ को हटाने की अपील की है, बल्कि 16% अतिरिक्त शुल्क को भी समाप्त करने की मांग की है। वार्ता का यह पांचवां दौर दिल्ली में चल रहा है, जिसमें दोनों देशों के बीच संतुलित और न्यायसंगत समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। जानें इस वार्ता के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का नया मोड़

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल को सभी देशों पर लगाए गए 10% बेसलाइन टैरिफ का मुद्दा अब भारत और अमेरिका के व्यापार समझौते की प्रारंभिक बातचीत का मुख्य विषय बन गया है। इस विषय पर दोनों देशों के बीच चल रही वार्ताओं में गहन चर्चा हो रही है।


भारत की टैरिफ हटाने की मांग

सूत्रों के अनुसार, भारत ने अमेरिकी पक्ष से न केवल 10% बेसलाइन टैरिफ को हटाने की मांग की है, बल्कि 9 जुलाई से लागू होने वाले 16% अतिरिक्त शुल्क को भी समाप्त करने पर जोर दिया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि यदि अमेरिका यह शुल्क नहीं हटाता, तो वह भी अमेरिकी वस्तुओं पर समान टैरिफ लगाने का निर्णय ले सकता है।


दिल्ली में वार्ता का पांचवां दौर

4 जून को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंचा। यह भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत का पांचवां दौर है, जो 10 जून तक जारी रहेगा। पहले यह यात्रा केवल दो दिन की बताई गई थी, लेकिन वार्ता की जटिलता के कारण इसे बढ़ा दिया गया है।


समान टैरिफ हटाने की अपील

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आदर्श स्थिति यह होगी कि अंतरिम समझौते के तहत भारत पर लगे 10% बेसलाइन टैरिफ और आगामी 16% शुल्क दोनों को एक साथ समाप्त किया जाए। अन्यथा, भारत भी अमेरिकी वस्तुओं पर कुल 26% टैरिफ बनाए रख सकता है।


मोदी-ट्रंप की संयुक्त घोषणा

13 फरवरी को वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए 'मिशन 500' की घोषणा की थी। इस दौरान उन्होंने 'म्यूचुअली बेनिफिशियल' और 'फेयर ट्रेड टर्म्स' पर जोर दिया था।


संतुलन और जन स्वीकृति की आवश्यकता

वार्ता में शामिल एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दोनों देश लोकतांत्रिक हैं और एक-दूसरे की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, इसलिए कोई भी समझौता संतुलित, न्यायसंगत और जनता के लिए स्वीकार्य होना चाहिए। भारत ने बाजार खोलने की इच्छा जताई है, लेकिन इसके लिए अमेरिका से समान व्यवहार की अपेक्षा रखता है।


ब्रिटेन-अमेरिका समझौते से सीख

भारत ने ब्रिटेन-अमेरिका 'इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी डील' (EPD) का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि वह ऐसा मॉडल नहीं अपनाएगा जहां टैरिफ बने रहें। ब्रिटेन को कुछ छूट मिली हैं, लेकिन 10% बेसलाइन टैरिफ अब भी बरकरार है, जो भारत के लिए स्वीकार्य नहीं है।


समझौता करना है आवश्यक

दोनों देशों का प्रयास है कि 9 जुलाई से पहले एक 'अर्ली हार्वेस्ट डील' तैयार हो जाए ताकि बड़े टैरिफ लागू होने से पहले राहत मिल सके। इसके बाद सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) अंतिम रूप पाने की संभावना है।


पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा का प्रभाव

भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की मई में अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक और यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव जैमीसन ग्रीर से हुई महत्वपूर्ण बैठकें भी इस वार्ता में प्रभावी साबित हुई हैं। इन बैठकों ने वार्ता को आगे बढ़ाने में मदद की है.