भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: टैरिफ और कृषि नीतियों पर बनी हुई हैं चुनौतियाँ
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का पुनः आरंभ
US Trade Policy: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से रुकी हुई व्यापार वार्ताएं मंगलवार को औपचारिक रूप से फिर से शुरू हुईं। भारत सरकार ने इन चर्चाओं को "सकारात्मक और भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने वाली" बताया है। यह बैठक 16 सितंबर को हुई, जिसमें अमेरिका की ओर से यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) के प्रमुख वार्ताकार ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल आया था, जबकि भारत का नेतृत्व वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने किया।
बातचीत में प्रगति, लेकिन टैरिफ बना चुनौती
रिश्तों में आई गर्माहट, लेकिन टैरिफ अब भी बड़ा मुद्दा
हालांकि दोनों देशों के बीच बातचीत में प्रगति की उम्मीद है, परंतु मुख्य रुकावट अब भी अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25% टैरिफ है। यह शुल्क खासकर रूस से तेल खरीदने को लेकर लगाया गया है, जबकि अमेरिका पहले से ही सामान्य 25% शुल्क वसूलता है।
अमेरिका की रणनीति और भारत की कृषि नीतियाँ
कृषि और डेयरी, भारत की सख्त नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि वे भारतीय किसानों की रक्षा किसी भी कीमत पर करेंगे। इसी कारण भारत ने अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों को खुले तौर पर प्रवेश देने से इनकार कर दिया है। यह भारत की आर्थिक संप्रभुता और विनियामक स्वायत्तता को बनाए रखने के संकल्प का हिस्सा है।
निर्यात में गिरावट और टैरिफ का प्रभाव
भारत के निर्यात में गिरावट, टैरिफ का असर
हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का अमेरिका को निर्यात अगस्त में घटकर $6.86 बिलियन रह गया, जो जुलाई में $8.01 बिलियन था। चूंकि अतिरिक्त टैरिफ अगस्त के अंत में लागू हुआ है, इसका पूरा प्रभाव सितंबर के आंकड़ों में दिखेगा।
समझौते की संभावनाएँ
समझौता नवंबर तक टल सकता है
पहले उम्मीद थी कि व्यापार समझौता सितंबर तक हो जाएगा, लेकिन अब यह संभावना नवंबर के पहले चरण तक खिसक गई है। अमेरिका का यह भी आरोप रहा है कि वार्ता में अत्यधिक देरी होने के कारण उन्होंने "दंडात्मक" शुल्क लगाए हैं। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार की कोशिशें जारी हैं, लेकिन टैरिफ, कृषि उत्पादों का प्रवेश, और रणनीतिक स्वायत्तता जैसे मुद्दे अब भी बड़े रोड़े बने हुए हैं। आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या दोनों देश एक संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते तक पहुंच पाते हैं।