भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में नई उम्मीदें
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता
भारत अमेरिका व्यापार समझौता: भारत और अमेरिका के बीच लम्बित व्यापार समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिकी प्रमुख वार्ताकार ब्रेंडन लिंच सोमवार रात दिल्ली पहुंचे। मंगलवार को होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक से उम्मीद है कि अटकी हुई डील पर सहमति बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। भारत की ओर से विशेष सचिव राजेश अग्रवाल इस बैठक का नेतृत्व कर रहे हैं, जिन्होंने स्पष्ट किया है कि चर्चा का केंद्र केवल व्यापारिक मुद्दे होंगे, जबकि भू-राजनीतिक मामलों पर कोई बात नहीं होगी।
ब्रेंडन लिंच, जो अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि हैं, 15 देशों की व्यापार नीतियों की देखरेख करते हैं। उन्होंने बोस्टन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। 2013 में वे अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय से जुड़े और कृषि व्यापार समझौतों में दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, इजराइल, मेक्सिको, कनाडा और रूस के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान में, वे भारत-अमेरिका व्यापार नीति फोरम का संचालन भी कर रहे हैं।
बैठक का महत्व
बैठक की प्रासंगिकता: इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि हाल ही में ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सोशल मीडिया पर सकारात्मक संवाद हुआ था। ट्रंप ने मोदी को अपना करीबी मित्र बताते हुए व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की थी, जिस पर मोदी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब टकराव से हटकर समझौते की दिशा में बढ़ना चाहता है।
व्यापारिक रिश्तों में तनाव
भारत और अमेरिका के बीच तनाव: अब तक भारत और अमेरिका के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन छठे दौर से पहले अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसे बाद में 50 प्रतिशत कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप अगस्त के अंत में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर औपचारिक वार्ता टल गई। यह टैरिफ विवाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव का कारण बना।
भारत के निर्यात पर प्रभाव
निर्यात पर असर: टैरिफ विवाद का असर भारत के निर्यात पर भी दिखाई देने लगा है। जुलाई में भारत का अमेरिका को निर्यात 8.01 अरब डॉलर था, जबकि अगस्त में यह घटकर 6.86 अरब डॉलर रह गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह बैठक सफल होती है, तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को नई ऊर्जा मिलेगी और बीटीए वार्ता का अगला दौर शुरू हो सकेगा।