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भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: क्या है ट्रंप का नया प्रस्ताव?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने कहा कि यह डील मौजूदा टैरिफ को कम कर सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार में निष्पक्षता आएगी। 9 जुलाई की डेडलाइन के नजदीक, वार्ताएं निर्णायक मोड़ पर हैं। हालांकि, कृषि क्षेत्र में चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जो इस समझौते की राह में बाधा डाल सकती हैं। जानें इस डील के पीछे की रणनीतियाँ और संभावनाएँ।
 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावना

US-India Trade Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है. ट्रंप ने कहा कि यह डील मौजूदा टैरिफ को काफी हद तक घटा सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक निष्पक्ष होगी. यह बयान ऐसे समय में आया है जब 9 जुलाई की डेडलाइन नजदीक है जिस दिन 26% टैरिफ की वापसी हो सकती है.


ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत अब अमेरिकी कंपनियों के लिए अपने बाजार को खोलने के लिए तैयार है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर भारत व्यापार बाधाएं हटाता है, तो अमेरिका भी कम टैरिफ के साथ आगे बढ़ने को तैयार है. यह बयान द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement BTA) को लेकर चल रही बातचीत के बीच आया है, जो अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है.


ट्रंप का भारत के साथ समझौते का दृष्टिकोण

भारत के साथ अलग तरह की डील होगी: ट्रंप


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत के साथ हमारा समझौता होगा और यह एक अलग तरह का समझौता होगा. यह हमें प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देगा. अभी भारत किसी को भी अंदर नहीं आने देता, लेकिन अगर वह बदलता है, तो कम टैरिफ के साथ एक डील संभव है." उन्होंने कहा कि इस डील से अमेरिकी कंपनियों को दक्षिण एशियाई बाजार में मजबूत पकड़ बनाने में मदद मिलेगी.


ट्रेजरी सेक्रेटरी की पुष्टि

अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी ने भी दी पुष्टि


अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा कि वॉशिंगटन और नई दिल्ली एक व्यापारिक समझौते के बेहद करीब हैं. इस डील से अमेरिकी वस्तुओं पर भारत में लगने वाले टैरिफ कम होंगे और भारत को आगामी टैरिफ बढ़ोतरी से राहत मिल सकती है.


उन्होंने कहा, "हम भारत के साथ बहुत करीब हैं." यह बयान उन खबरों की पुष्टि करता है कि समझौता जल्द ही हो सकता है.


समझौते की समयसीमा

9 जुलाई से पहले समझौता क्यों जरूरी?


भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत अब निर्णायक चरण में पहुंच गई है. 9 जुलाई को 90 दिनों की टैरिफ रोक समाप्त हो रही है, जिसके बाद अमेरिका द्वारा लगाए गए 26% रेसिप्रोकल टैरिफ फिर से लागू हो सकते हैं.


रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय टीम ने वॉशिंगटन में अपनी यात्रा बढ़ा दी है. वार्ताएं पहले गुरुवार और शुक्रवार के लिए निर्धारित थीं, लेकिन अब दोनों पक्ष अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अतिरिक्त समय ले रहे हैं.


कृषि क्षेत्र की चुनौतियाँ

कृषि सेक्टर बना बड़ी रुकावट


बातचीत के इस नाज़ुक मोड़ पर कृषि क्षेत्र सबसे बड़ा बाधक बनकर उभरा है. भारत का कृषि क्षेत्र, जो मुख्य रूप से छोटे किसानों पर आधारित है, अमेरिकी दबाव के बावजूद विदेशी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार नहीं है.


विशेषकर डेयरी सेक्टर को खोलने को लेकर भारत ने अब तक सभी मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) में सख्त रुख अपनाया है, और इस बार भी वह अपने रुख पर कायम है.


अमेरिका की ओर से सेब, ट्री नट्स और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों सहित कई कृषि उत्पादों पर भारत में ड्यूटी घटाने का दबाव है. इसके बदले भारत अपनी मजदूर-आधारित वस्तुओं जैसे कि कपड़े, गारमेंट्स, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान और कृषि उत्पाद जैसे झींगा, तिलहन, अंगूर और केले को अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच देने की मांग कर रहा है.