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भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों में नई चुनौतियाँ

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में चल रही जटिलताओं के बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की बात की है। उन्होंने व्यापार समझौते की चुनौतियों, वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों और चीन के प्रभाव पर चर्चा की। जानें कि भारत अपनी राष्ट्रीय शक्ति को कैसे बढ़ा रहा है और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।
 

भारत और अमेरिका के व्यापार वार्ता में स्पष्टता

भारत-अमेरिका व्यापार: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में चल रही जटिलताओं के बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने देश के हितों को प्राथमिकता देने की बात की है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यापार समझौते में भारत की नींव और राष्ट्रीय हितों का सम्मान होना आवश्यक है। इसके साथ ही, वैश्विक आर्थिक और रणनीतिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए, भारत अपनी राष्ट्रीय शक्ति और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।


व्यापार समझौते की चुनौतियाँ

जयशंकर ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की कमी के कारण कुछ विवाद उत्पन्न हुए हैं। उन्होंने ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत करों और रूस से ऊर्जा खरीदने पर लगने वाले जुर्माने को भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के प्रमुख कारणों के रूप में बताया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी बाजार भारत के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन किसी भी समझौते में भारत की 'रेड लाइन' का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।


वैश्विक आर्थिक और रणनीतिक बदलाव

वैश्विक स्तर पर परिवर्तन का दौर

जयशंकर ने कहा कि वर्तमान समय वैश्विक स्तर पर परिवर्तन का अनूठा दौर है। उन्होंने बताया कि अब लागत ही निर्णायक नहीं है, बल्कि सुरक्षा, भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला और ऊर्जा जैसे मुद्दे भी महत्वपूर्ण हो गए हैं। वैश्विक राजनीतिक गठबंधनों और शक्ति संतुलन में भी बदलाव आया है, जिससे भारत को अपनी रणनीति और आर्थिक ताकत को मजबूत करना आवश्यक है।


चीन, ऊर्जा और तकनीकी पर असर

चीन में वैश्विक उत्पादन का प्रभाव

जयशंकर ने बताया कि चीन में वैश्विक उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा केंद्रित होने से अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। उन्होंने अमेरिका की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और चीन के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नेतृत्व पर भी चर्चा की। इसके साथ ही, डेटा और तकनीकी कंपनियों के वैश्विक प्रभाव और आपूर्ति श्रृंखलाओं में कमजोरी का जिक्र किया।


भारत की तैयारी और राष्ट्रीय शक्ति

राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ाने की आवश्यकता

जयशंकर ने कहा कि भारत को केवल रक्षा तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्नत विनिर्माण, इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर, ड्रोन और अंतरिक्ष तकनीक में विकास के साथ राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ाना होगा। उन्होंने मानव संसाधन, बुनियादी ढांचे, व्यापार प्रवाह, ऊर्जा, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।