भारत और न्यूजीलैंड के बीच नया मुक्त व्यापार समझौता: आर्थिक विकास की नई दिशा
भारत-न्यूजीलैंड का मुक्त व्यापार समझौता
भारत और न्यूजीलैंड ने केवल नौ महीनों की वार्ता के बाद एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच बातचीत के बाद घोषित किया गया। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे भारत की दीर्घकालिक विकास योजना के अनुरूप बताया है। यह समझौता व्यापार, निवेश, सेवाओं, कृषि और श्रमिकों की आवाजाही को एकीकृत करता है।
जीरो टैरिफ से निर्यात को बढ़ावा
इस एफटीए के लागू होने पर भारत से न्यूजीलैंड को होने वाले सभी निर्यात पर कोई कस्टम ड्यूटी नहीं लगेगी। इससे कपड़ा, परिधान, चमड़ा, और जूते जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा। इसके अलावा, इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और केमिकल्स जैसे क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
20 अरब डॉलर के निवेश का रास्ता
समझौते के तहत न्यूजीलैंड अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब डॉलर के निवेश को बढ़ावा देगा। यह निवेश मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, सेवाओं और नवाचार पर केंद्रित होगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और भारत की औद्योगिक क्षमता में सुधार होगा।
भारतीय कृषि के लिए नए बाजार
एफटीए के माध्यम से भारतीय फल, सब्जियां, अनाज, मसाले, कॉफी और प्रोसेस्ड फूड को न्यूजीलैंड के बाजार में बेहतर पहुंच प्राप्त होगी। कृषि साझेदारी, उत्कृष्टता केंद्र और आधुनिक तकनीकों के आदान-प्रदान से उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। शहद, सेब और कीवी जैसे बागवानी उत्पादों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा
भारत ने डेयरी, चीनी, खाद्य तेल, मसाले, कॉफी, कीमती धातु और रबर उत्पादों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा है। इन उत्पादों को शुल्क छूट से बाहर रखा गया है, ताकि किसानों, एमएसएमई और घरेलू उद्योगों पर आयात का दबाव न पड़े।
5000 वर्क वीजा और सेवाएं
सेवाएं इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आईटी, वित्त, शिक्षा, पर्यटन और निर्माण सहित 118 सेवा श्रेणियों में भारत को पहुंच मिली है। इसके साथ ही, कुशल भारतीयों के लिए 5,000 अस्थायी वर्क वीजा, वर्किंग हॉलिडे वीजा और पढ़ाई के बाद रोजगार के अवसर भी बढ़ाए गए हैं।