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भारत और यूरोपीय संघ के बीच नई रणनीतिक साझेदारी: सुरक्षा, व्यापार और तकनीक में सहयोग

यूरोपीय संघ ने भारत के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की घोषणा की है। इस नई पहल के तहत रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और तकनीक जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का लक्ष्य है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस संबंध में कहा कि यह नई रणनीति दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगी और वैश्विक स्थिरता को भी बढ़ावा देगी। इसके अलावा, मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता भी जताई गई है। जानें इस नई साझेदारी के प्रमुख पहलुओं के बारे में।
 

यूरोपीय संघ का भारत के साथ नया कदम

बुधवार को, यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की योजना की घोषणा की। इस पहल के अंतर्गत रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। ईयू ने कहा कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत के साथ एक मजबूत साझेदारी स्थापित करना उसकी प्राथमिकता है, जो आर्थिक विकास और वैश्विक सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी।


नया रणनीतिक एजेंडा

सहयोग का नया अध्याय


इस पहल को 'नया रणनीतिक यूरोपीय संघ-भारत एजेंडा' नाम दिया गया है। ईयू का कहना है कि इस एजेंडे का मुख्य उद्देश्य भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग को और गहरा, व्यापक और समन्वित बनाना है। यह साझा समृद्धि को बढ़ावा देने, सुरक्षा को मजबूत करने और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और वैश्विक अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए सामूहिक प्रयासों को रेखांकित करता है।


उर्सुला वॉन डेर लेयेन का दृष्टिकोण

उर्सुला वॉन डेर लेयेन का बयान


यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि यह नई रणनीति भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को नई दिशा और ऊंचाई प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम विश्वसनीय साझेदारों पर भरोसा करें और साझा मूल्यों पर आधारित सहयोग को दोगुना करें। उनकी राय में, भारत के साथ गहरे रिश्ते न केवल यूरोप के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को भी बढ़ावा देंगे।


मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में कदम

मुक्त व्यापार समझौते को लेकर प्रतिबद्धता


वॉन डेर लेयेन ने यह भी स्पष्ट किया कि यूरोपीय संघ इस वर्ष के अंत तक भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यूरोप पहले से ही भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हम भारत के साथ अपने साझा भविष्य में निवेश करने के लिए तैयार हैं और मुक्त व्यापार समझौते को जल्द पूरा करेंगे। यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार और निवेश प्रवाह को नई गति देगा, जिससे भारतीय उद्योगों को यूरोपीय बाजार में और अधिक अवसर मिल सकेंगे।


सदस्य देशों की मंजूरी और शिखर सम्मेलन

इस रणनीतिक एजेंडे को लागू करने से पहले ईयू के सभी 27 सदस्य देशों की मंजूरी आवश्यक होगी। अनुमोदन मिलने के बाद इसे अगले वर्ष की पहली तिमाही में प्रस्तावित भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में औपचारिक रूप से अपनाया जाएगा। इसके लागू होते ही दोनों पक्षों के बीच सहयोग का एक विस्तृत ढांचा तैयार हो जाएगा।


पांच प्रमुख क्षेत्र

पांच प्रमुख क्षेत्र


1. सुरक्षा और रक्षा सहयोग


2. वैश्विक मामलों व कनेक्टिविटी


3. आर्थिक समृद्धि और व्यापार


4. स्थिरता व हरित ऊर्जा संक्रमण


5. तकनीकी एवं नवाचार


ईयू और भारत का मानना है कि इन क्षेत्रों में साझेदारी गहरी होने से न केवल दोनों पक्षों को लाभ होगा बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और सतत विकास को भी नई दिशा मिलेगी।