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भारत कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में

भारत ने कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक स्रोतों की खोज शुरू कर दी है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने अमेरिका के संभावित प्रतिबंधों के बीच देश की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत अब 40 देशों से तेल खरीदता है, जिसमें रूस का हिस्सा 40 प्रतिशत है। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है और अमेरिका के दबाव का भारत पर क्या असर हो सकता है।
 

भारत की तैयारियां


केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का बयान


भारत के पेट्रोलियम और गैस मंत्री हरदीप पुरी ने कहा है कि देश किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है और घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा वैश्विक दबाव बनाने के प्रयासों के बीच, भारत ने रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका को नजरअंदाज करते हुए वैकल्पिक स्रोतों से खरीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया है।


पुरी ने कहा कि भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है, रूस से तेल की आपूर्ति में किसी भी बाधा का सामना करने के लिए अन्य देशों से खरीदारी कर सकता है। उन्होंने बताया कि भारत पहले 27 देशों से तेल खरीदता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर लगभग 40 हो गई है।


रूस अब भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 40 प्रतिशत हिस्सा बन चुका है। पुरी ने ब्राजील, कनाडा और गुयाना जैसे देशों से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने की संभावनाओं पर भी चर्चा की।


अमेरिकी दबाव का विरोध

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सुझाव दिया है कि भारत को रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद करने के अमेरिकी दबाव का विरोध करना चाहिए। इस शोध संस्थान का मानना है कि रूसी तेल आयात भारत को महंगाई पर नियंत्रण रखने और वैश्विक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद कर रहा है।


अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूसी तेल खरीदारों पर 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाने की चेतावनी दी है, जिससे भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना होगा।