भारत का नया मैसेजिंग ऐप अराटाई: श्रीधर वेम्बू की प्रेरणादायक कहानी
अराटाई, एक स्वदेशी मैसेजिंग ऐप, हाल ही में WhatsApp के लिए एक मजबूत प्रतिस्पर्धा बनकर उभरा है। इसके पीछे श्रीधर वेम्बू की प्रेरणादायक कहानी है, जिन्होंने अमेरिका में अपनी उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़कर अपने गांव में व्यवसाय स्थापित किया। जानें कैसे उन्होंने तकनीक के क्षेत्र में एक नई दिशा दी और क्यों उनका मानना है कि प्रतिभा महानगरों से नहीं, बल्कि गांवों से भी उभर सकती है।
Sep 30, 2025, 17:43 IST
अराटाई ऐप की बढ़ती लोकप्रियता
भारत का स्वदेशी मैसेजिंग ऐप अराटाई (Arattai) हाल ही में दुनिया भर में प्रसिद्ध WhatsApp के लिए एक मजबूत प्रतिस्पर्धा बनकर उभरा है। पिछले कुछ दिनों में इसकी लोकप्रियता में तेजी आई है, जिससे इसे भारत में व्हॉट्सऐप का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है।
अराटाई के पीछे की प्रेरणा
क्या आप जानते हैं कि अराटाई का निर्माण किसने किया है? इसके पीछे वह व्यक्ति है जिसने अमेरिका में एक उच्च वेतन वाली आईटी नौकरी को छोड़कर भारत में व्यवसाय स्थापित करने का निर्णय लिया। उनकी कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने अपने व्यवसाय को किसी बड़े शहर में नहीं, बल्कि अपने गांव में शुरू किया।
श्रीधर वेम्बू: अराटाई के निर्माता
श्रीधर वेम्बू कौन हैं?
अराटाई ऐप के पीछे जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बू का योगदान है। वेम्बू तमिलनाडु के तेनकासी में स्थित अपने कार्यालय में साइकिल से जाते हैं। उनका जन्म 1968 में तंजावुर, तमिलनाडु में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।
उन्होंने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की और 1989 में स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद, 1994 में उन्होंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय से पीएचडी की।
पेशेवर सफर और सफलता
अपनी उच्च शिक्षा के बाद, वेम्बू ने क्वालकॉम में सिस्टम डिजाइन इंजीनियर के रूप में करियर की शुरुआत की, जहां उन्होंने वायरलेस तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा, वे फोर्ब्स की 2024 की भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में 39वें स्थान पर हैं, उनकी कुल संपत्ति 5.85 बिलियन डॉलर (लगभग 51,905 करोड़ रुपये) आंकी गई है।
वेम्बू ने पारंपरिक तकनीकी केंद्रों की राह पर चलने के बजाय भारत लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने बेंगलुरु, हैदराबाद या दिल्ली के बजाय तमिलनाडु के तेनकाशी के एक छोटे से गांव को चुना। यह असामान्य निर्णय अब उनके दर्शन का केंद्र बन गया है। वेम्बू का मानना है कि विश्वस्तरीय तकनीक महानगरों से नहीं, बल्कि गांवों में भी विकसित की जा सकती है।