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भारत की अर्थव्यवस्था पर अमेरिका की टैरिफ नीति का प्रभाव

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें अमेरिका की टैरिफ नीति और भू-राजनीतिक तनाव के कारण भारत की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि खाद्य कीमतों में गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति लगातार पांचवें महीने 4 प्रतिशत से नीचे रही है। क्या भारत अमेरिका के दबाव का सामना कर पाएगा? जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
 

आरबीआई की रिपोर्ट में राजनीतिक तनाव का असर


आरबीआई ने राजनीतिक तनाव और अमेरिका की टैरिफ नीति का उल्लेख किया


भारत सरकार की कोशिशों के बावजूद, अमेरिका की नई टैरिफ नीति का देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अमेरिका ने अभी तक भारत के खिलाफ नई टैरिफ दरों की घोषणा नहीं की है, लेकिन वह भारत पर व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रहा है।


भारत ने इस दबाव का सामना करते हुए अपनी शर्तों पर अडिग रहने का निर्णय लिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या भारत और अमेरिका के बीच एक अगस्त से पहले इस व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होते हैं या अमेरिका नई टैरिफ दरें लागू करेगा। इस संदर्भ में, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है।


आरबीआई की रिपोर्ट में आर्थिक गतिविधियों का विश्लेषण

भारतीय रिजर्व बैंक के बुलेटिन में कहा गया है कि भू-राजनीतिक तनाव और टैरिफ नीति की अनिश्चितताओं के कारण जून और जुलाई के दौरान भारत की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित रहीं। जुलाई के बुलेटिन में 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' पर एक लेख में उल्लेख किया गया है कि इन तनावों के बीच वैश्विक आर्थिक वातावरण अस्थिर बना हुआ है।


हालांकि, खरीफ कृषि मौसम की संभावनाओं में सुधार, सेवा क्षेत्र में मजबूती और औद्योगिक गतिविधियों में हल्की वृद्धि के चलते घरेलू आर्थिक गतिविधियों में तेजी बनी हुई है।


खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि खाद्य कीमतों में कमी के कारण जून में लगातार पांचवें महीने खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से नीचे रही। इसके अतिरिक्त, नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ऋण बाजारों तक तेजी से पहुंचाने के लिए प्रणालीगत तरलता अधिशेष में बनी रही।


रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और मध्यम बाह्य ऋण-जीडीपी अनुपात के कारण बाह्य क्षेत्र लचीला बना हुआ है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि बुलेटिन में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और ये भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।