भारत कोकिंग कोल का आईपीओ: 2026 में शेयर बाजार में दस्तक की तैयारी
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड का आईपीओ 2026 की शुरुआत में आने की संभावना है, जिससे शेयर बाजार में हलचल मच सकती है। कोल इंडिया अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है, जिससे कंपनी का प्री-लिस्टिंग वैल्यूएशन लगभग 13,000 करोड़ रुपये हो सकता है। इस आईपीओ के माध्यम से कोई नया शेयर जारी नहीं किया जाएगा, और इससे प्राप्त राशि सीधे कोल इंडिया को जाएगी। जानें इस आईपीओ के पीछे की रणनीतियाँ और कोयला उद्योग में हो रही गतिविधियों के बारे में।
Dec 24, 2025, 22:44 IST
भारत कोकिंग कोल का आईपीओ आने वाला है
साल 2026 की शुरुआत भारतीय आईपीओ बाजार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हालिया गतिविधियों के बीच, संकेत मिल रहे हैं कि कोल इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, जल्द ही शेयर बाजार में प्रवेश कर सकती है। जानकारी के अनुसार, यह सार्वजनिक निर्गम अगले एक-दो हफ्तों में पेश किया जा सकता है, जिससे नए साल में प्राथमिक बाजार में रौनक बढ़ने की उम्मीद है।
आईपीओ की संरचना और विवरण
यह प्रस्तावित आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल पर आधारित होगा, जिसमें कोल इंडिया अपनी लगभग 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इसके तहत लगभग 46.57 करोड़ इक्विटी शेयर बाजार में जारी किए जाएंगे। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस निर्गम में कोई नया शेयर जारी नहीं किया जाएगा, जिससे प्राप्त राशि सीधे कोल इंडिया को जाएगी और भारत कोकिंग कोल को कोई नई पूंजी नहीं मिलेगी।
आईपीओ का आकार और प्रबंधन
ईटी नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, इस आईपीओ का आकार लगभग 1,300 करोड़ रुपये हो सकता है, जिससे कंपनी का प्री-लिस्टिंग वैल्यूएशन लगभग 13,000 करोड़ रुपये आंका जा रहा है। कीमत दायरा, लॉट साइज और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को लॉन्च से पहले बुक रनिंग लीड मैनेजर्स के साथ मिलकर तय किया जाएगा। इस इश्यू के लिए आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और आईडीबीआई कैपिटल लीड मैनेजर के रूप में कार्य करेंगे, जबकि केफिन टेक्नोलॉजीज रजिस्ट्रार की भूमिका निभाएगी। उल्लेखनीय है कि सेबी ने सितंबर में ही कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस को मंजूरी दी थी।
भारत कोकिंग कोल का परिचय
भारत कोकिंग कोल देश की प्रमुख कोकिंग कोल उत्पादक कंपनियों में से एक है। यह कोयला मुख्य रूप से स्टील उद्योग में उपयोग होता है, और कंपनी नॉन-कोकिंग और वॉश्ड कोल का उत्पादन भी करती है, जो बिजली और स्टील क्षेत्र को सप्लाई किया जाता है। कंपनी की स्थापना 1972 में हुई थी और इसके प्रमुख खनन क्षेत्र झारखंड के झरिया और पश्चिम बंगाल के रानीगंज कोलफील्ड्स में स्थित हैं, जो देश के सबसे समृद्ध कोयला क्षेत्रों में माने जाते हैं।
उत्पादन में वृद्धि
पिछले कुछ वर्षों में कंपनी के उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2022 में उत्पादन 30.51 मिलियन टन था, जो 2025 तक बढ़कर 40.50 मिलियन टन पहुंच गया है, जो लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वित्त वर्ष 2024 में, कंपनी ने 39.11 मिलियन टन कोकिंग कोल और 1.99 मिलियन टन नॉन-कोकिंग कोल का उत्पादन कर अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़े हैं।
वित्तीय स्थिति
वित्तीय स्थिति की बात करें तो मार्च 2025 को समाप्त वर्ष में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू लगभग 14,000 करोड़ रुपये रहा है। मुनाफा 1,240 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है, और नेटवर्थ में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दो साल पहले जहां नेटवर्थ 3,791 करोड़ रुपये थी, वह बढ़कर 6,551 करोड़ रुपये हो गई है। खास बात यह है कि कंपनी पर कोई कर्ज नहीं है, जिससे इसका बैलेंस शीट मजबूत माना जा रहा है।
कोल इंडिया की भूमिका
कोल इंडिया देश की ऊर्जा व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और घरेलू कोयला उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। कंपनी सात कोयला उत्पादक सहायक कंपनियों और एक तकनीकी कंसल्टेंसी इकाई के माध्यम से कार्य करती है। भारत कोकिंग कोल की लिस्टिंग कोल इंडिया की उस रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तहत वह अपनी सहायक कंपनियों से वैल्यू अनलॉक करना चाहती है।
कोयला और खनन क्षेत्र में गतिविधियाँ
इस बीच, कोयला और खनन क्षेत्र में गतिविधियाँ तेज हो रही हैं। कोल इंडिया देश और विदेश में महत्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके साथ ही, तीन कोल गैसीफिकेशन परियोजनाओं और पिटहेड पावर प्लांट्स पर भी काम चल रहा है। ओडिशा में प्रस्तावित 1,600 मेगावाट की पिटहेड पावर परियोजना और डीवीसी के साथ संयुक्त उद्यम में बनने वाली दूसरी परियोजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं।
2026 का महत्व
पूरे सेक्टर स्तर पर 2026 कोयला उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष माना जा रहा है। मंत्रालय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने, मंजूरी प्रक्रियाओं को सरल बनाने और आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने पर काम कर रहा है। निजी क्षेत्र को भी नए कोयला ब्लॉक्स आवंटित किए जा रहे हैं, जिससे उत्पादन में निरंतर वृद्धि हो रही है। ऐसे माहौल में, भारत कोकिंग कोल का प्रस्तावित आईपीओ निवेशकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बन सकता है और यह 2026 की शुरुआत का सबसे चर्चित सार्वजनिक निर्गम बन सकता है, ऐसा बाजार से जुड़े जानकार मानते हैं।