भारत ने स्टील उत्पादों पर इंपोर्ट टैरिफ बढ़ाया, चीन से आयात पर रोकथाम का प्रयास
भारत का नया इंपोर्ट टैरिफ
नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को कुछ विशेष स्टील उत्पादों पर तीन साल के लिए 11-12 प्रतिशत का इंपोर्ट टैरिफ लागू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य चीन से आने वाले स्टील शिपमेंट में वृद्धि को रोकना है। पहले वर्ष में यह ड्यूटी 12 प्रतिशत होगी, दूसरे वर्ष में यह घटकर 11.5 प्रतिशत और तीसरे वर्ष में 11 प्रतिशत हो जाएगी।
भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा स्टील उत्पादक है, सस्ते चीनी स्टील के आयात में वृद्धि से चिंतित है। यह स्थिति एंटी-डंपिंग के मुद्दों को जन्म दे रही है और घरेलू स्टील निर्माताओं पर दबाव डाल रही है। सरकारी गजट में प्रकाशित इस निर्णय में कुछ विकासशील देशों से होने वाले आयात को छूट दी गई है, लेकिन चीन, वियतनाम और नेपाल पर यह टैरिफ लागू होगा। यह विशेष रूप से स्टेनलेस स्टील जैसे उत्पादों पर लागू नहीं होगा।
सरकार का रुख
मंत्रालय का बयान
सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह नहीं चाहती कि घरेलू स्टील उद्योग को सस्ते आयात और घटिया उत्पादों के कारण नुकसान पहुंचे। आदेश में कहा गया है कि डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज़ (DGTR) ने 'आयात में हाल ही में अचानक और महत्वपूर्ण वृद्धि' का पता लगाया है, जिससे घरेलू उद्योग को गंभीर नुकसान हो रहा है। इसी कारण तीन साल की ड्यूटी की सिफारिश की गई है।
अप्रैल 2025 में, भारत सरकार ने विदेशी आयात पर 200 दिनों के लिए 12 प्रतिशत का अस्थायी टैरिफ लगाया था, जो नवंबर 2025 में समाप्त हो गया था।
मामले का इतिहास
पहले उठाए गए मुद्दे
इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन ने पहले इस मुद्दे को उठाया था। अगस्त 2025 में, इसने DGTR में एक याचिका दायर कर सरकार से सस्ते स्टील आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का अनुरोध किया था।
भारत का यह कदम चीनी स्टील निर्यात के खिलाफ वैश्विक व्यापार तनाव के बीच आया है, जो आंशिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील पर इंपोर्ट टैरिफ लगाने के निर्णय से शुरू हुआ था। अमेरिकी उपायों ने चीनी शिपमेंट को अन्य बाजारों में भेज दिया है, जिससे कई देशों ने व्यापार सुरक्षा उपायों को कड़ा किया है।
दक्षिण कोरिया और वियतनाम ने इस वर्ष की शुरुआत में चीनी स्टील उत्पादों पर एंटी-डंपिंग लेवी लगाई थी, जो सस्ते निर्यात के खिलाफ एक कदम था।