भारत में क्रिप्टोकरेंसी: चुनौतियाँ और वैश्विक जोखिम
क्रिप्टोकरेंसी का उदय
क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 2009 में हुई, जबकि भारत में इसका उपयोग 2010 से शुरू हुआ। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने अभी तक इसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी है। इस क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या यह है कि भारतीय नागरिकों को इसकी तकनीकी जानकारी का अभाव है। काले धन को सीमा पार ले जाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक नया माध्यम बन चुकी है। हाल ही में, न्यू यॉर्क टाइम्स और अन्य प्रमुख मीडिया संस्थानों द्वारा की गई एक जांच में यह सामने आया है कि वैश्विक क्रिप्टो एक्सचेंजों ने एक छाया अर्थव्यवस्था का निर्माण किया है, जहाँ अवैध लेनदेन पहले से कहीं अधिक सरलता से हो रहे हैं। पिछले नौ वर्षों में, इन एक्सचेंजों पर 5.8 अरब डॉलर के जुर्माने लगाए गए हैं, जो इस क्षेत्र की अपारदर्शिता को दर्शाता है।
भारत में स्थिति
जनवरी 2024 से सितंबर 2025 के बीच, गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने 27 क्रिप्टो एक्सचेंजों की पहचान की है, जिन्हें साइबर अपराधियों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग किया जा रहा है। इन प्लेटफार्मों के माध्यम से लगभग 2,872 पीड़ितों से ₹623.63 करोड़ की राशि निकाली गई। पिछले तीन वर्षों में, I4C ने 144 मामलों का विश्लेषण किया और पाया कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग साइबर अपराधों से चुराए गए धन को अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तक पहुँचाने के लिए किया जा रहा है।
क्रिप्टो और वैश्विक जोखिम
क्रिप्टो एक ऐसा शब्द है जिसे सभी ने सुना है, लेकिन इसकी तकनीकी जानकारी बहुत कम लोगों के पास है। इस क्षेत्र में निवेश करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे क्रिप्टो की दुनिया में एक अंधी दौड़ शुरू हो गई है। नए डिजिटल करेंसी रोज़ लॉन्च हो रही हैं, और नियमों की कमी के कारण धन आसानी से दूसरे देशों में चला जाता है। यह स्थिति रैंसमवेयर समूहों, ड्रग सिंडिकेट और साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।
भारत में नियमों की कमी
हालांकि खुदरा निवेशकों की रुचि बढ़ रही है, सरकार क्रिप्टो को लेकर सतर्क है। अधिकारियों का मानना है कि यदि सरकार इसे नियमों में बांधती है, तो यह क्रिप्टो का समर्थन माना जा सकता है। वर्तमान में, वित्त मंत्रालय केवल एक चर्चा पत्र तैयार कर रहा है, और कोई ठोस नीति नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, एजेंसियों को ज़ब्त की गई क्रिप्टो संपत्तियों के भंडारण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इंडस्ट्री पर दबाव
भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों का कहना है कि नियमों की अनिश्चितता उनके संचालन को प्रभावित कर रही है। इसके विपरीत, विदेशी प्लेटफार्मों ने बिना किसी रुकावट के भारतीय उपयोगकर्ताओं को सेवाएँ प्रदान करना जारी रखा है। कर व्यवस्था भी एक बड़ी चुनौती बन गई है, जिसमें हर लेनदेन पर 1% टीडीएस और 30% पूंजीगत लाभ कर शामिल है। इन नीतियों के कारण, भारतीय एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग वॉल्यूम में 97% की गिरावट आई है।