भारत में महंगाई दर में कमी: अर्थव्यवस्था को मिला नया संजीवनी
महंगाई दर में गिरावट
नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत की थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर 0.13 प्रतिशत दर्ज की गई, जो अगस्त में 0.52 प्रतिशत थी।
अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रिया
डॉ. मनोरंजन शर्मा ने इस गिरावट को सकारात्मक संकेत बताया। उनका कहना है कि यह कमी उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में वृद्धि का संकेत है। खुदरा मुद्रास्फीति भी 1.5 प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंच गई है, जो पिछले आठ वर्षों में सबसे कम है। अगस्त में यह 2.7 प्रतिशत थी और अब यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2-6 प्रतिशत के लक्ष्य से भी नीचे है।
उपभोक्ता खर्च में वृद्धि
उन्होंने कहा, "खुदरा और थोक मुद्रास्फीति में कमी से आम आदमी की जेब में अधिक पैसा बचा है, जिसे तकनीकी रूप से डिस्पोजेबल इनकम कहा जाता है। इससे उपभोग में वृद्धि हुई है। जीएसटी संग्रह में भी 1.89 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि देखी गई, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन है।"
आर्थिक भविष्यवाणी
डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि इस साल के अंत तक मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है, जबकि जीडीपी वृद्धि 6 प्रतिशत के करीब रहेगी। इस सकारात्मक आर्थिक माहौल का प्रभाव आगामी त्योहारी सीजन पर भी देखने को मिलेगा।
त्योहारी सीजन की उम्मीदें
उन्होंने कहा, "इस बार दीपावली पर लोग अधिक खरीदारी करेंगे। कम मुद्रास्फीति और बढ़ी हुई क्रय शक्ति के कारण उपभोक्ता उत्साह के साथ खर्च करेंगे, जिससे दुकानदारों और व्यापारियों को भी लाभ होगा।"
वैश्विक स्थिति
डॉ. शर्मा ने इसे 'वर्चुअस साइकिल' करार देते हुए कहा कि यह स्थिति पहले के 'सर्कल ऑफ पावर्टी' से एक बड़ा बदलाव है। बढ़ा हुआ उपभोग व्यापारियों की बिक्री और कमीशन को बढ़ाएगा, जिससे अर्थव्यवस्था में और गति आएगी। वैश्विक स्तर पर भी भारत की स्थिति मजबूत दिख रही है।
तेल की कीमतों का प्रभाव
उन्होंने आगे कहा कि तेल की कीमतें नियंत्रण में हैं, जिसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। कम मुद्रास्फीति और स्थिर वैश्विक परिदृश्य ने भारत को आर्थिक स्थिरता की दिशा में और मजबूत किया है। इस बार का त्योहारी सीजन न केवल उपभोक्ताओं के लिए, बल्कि व्यापारियों और अर्थव्यवस्था के लिए भी सुखद होने की उम्मीद है। यह स्थिति भारत की आर्थिक प्रगति और उपभोक्ता विश्वास को दर्शाती है।