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भारत सरकार का निर्यातकों के लिए राहत पैकेज: क्या है नई नीति का असर?

भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को देखते हुए निर्यातकों के लिए एक राहत पैकेज की घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार उन निर्यातकों को अकेला नहीं छोड़ेगी जो नई नीति से प्रभावित हुए हैं। इस पैकेज का उद्देश्य व्यापारिक संकटों से निपटना और निर्यातकों को वैकल्पिक बाजार खोजने में मदद करना है। जानें इस योजना के पीछे की रणनीतियाँ और भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में आ रहे बदलावों के बारे में।
 

भारत सरकार की नई पहल

India Export Relief Package : अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए भारी टैरिफ के मद्देनजर, भारत सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार उन निर्यातकों को किसी भी हाल में अकेला नहीं छोड़ेगी, जिन्हें अमेरिका की नई नीति से नुकसान हो रहा है। उनका कहना था कि सरकार ऐसे उद्योगों के लिए विशेष राहत उपाय लेकर आ रही है जो 50% तक की बढ़ी हुई टैरिफ दरों से प्रभावित हुए हैं.


ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव

ट्रंप के टैरिफ के बाद बढ़ी चिंता, सरकार ने लिया एक्शन 
यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का आदेश दिया था। इसमें न्यू दिल्ली द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद को आधार बनाते हुए कुछ उत्पादों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। इस फैसले के बाद कपड़े, रत्न-आभूषण, जूते, केमिकल जैसे कई उत्पादों पर टैरिफ 50% तक पहुंच चुका है। इससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा की स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हुई है.


सरकार का समर्थन

अकेले नहीं छोड़ेंगे भारतीय निर्यातकों को
सीतारमण ने CNBC-TV18 से बातचीत में कहा कि सरकार "हाथ पकड़ कर" उन निर्यातकों की मदद करेगी जो इस अप्रत्याशित व्यापारिक झटके से जूझ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक विशेष योजना तैयार की गई है, जो जल्द ही कैबिनेट की मंज़ूरी के लिए भेजी जाएगी। सरकार चाहती है कि कामकाजी पूंजी की कमी, पेमेंट डिले और निर्यात ऑर्डर कैंसिल होने जैसे संकटों से निपटने के लिए एक संपूर्ण योजना तैयार हो.


नकदी संकट से निपटने के उपाय

नकदी संकट से बचाव और रोजगार की सुरक्षा पर जोर
वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार उन उपायों पर भी विचार कर रही है जो कोविड-19 महामारी के दौरान लागू की गई आर्थिक सहायता की तर्ज़ पर हों। इसका उद्देश्य है कि कारोबारी नकदी संकट से बच सकें, और कहीं किसी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नौकरियाँ प्रभावित न हों। साथ ही, सरकार दीर्घकालीन रणनीति के तहत निर्यात बाज़ारों का विविधीकरण और आपूर्ति श्रृंखलाओं में नए देश जोड़ने की दिशा में भी काम कर रही है.


भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव

भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में आई दरार
कभी रणनीतिक साझेदार माने जाने वाले भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अब खुलकर सामने आ रहा है। उद्योग जगत के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका को होने वाले कुल भारतीय निर्यात का 55% हिस्सा अब प्रतिस्पर्धी देशों — जैसे वियतनाम, चीन और बांग्लादेश — के मुकाबले महंगा हो गया है। इससे भारत के $48 अरब के निर्यात को गहरी चोट पहुंची है। इससे पहले भी अमेरिका ने भारतीय निर्यातों पर शुल्क बढ़ाकर भारत की रूस-नीति पर असंतोष जताया था.


भविष्य की दिशा

आगे की राह कैसी होगी
भारत सरकार की ओर से जो प्रस्तावित राहत पैकेज लाया जा रहा है, वह न केवल तत्काल संकट से उबरने में मदद करेगा, बल्कि लंबे समय में निर्यातकों को वैकल्पिक बाज़ार खोजने और वैश्विक स्तर पर स्थिरता लाने की दिशा में मददगार सिद्ध हो सकता है। हालांकि असली परीक्षा तब होगी जब यह राहत योजना ज़मीन पर उतरेगी और इसकी प्रभावशीलता वास्तविक आंकड़ों में दिखेगी.