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भारत: स्कॉच व्हिस्की का सबसे बड़ा बाजार और भविष्य की संभावनाएं

भारत ने स्कॉच व्हिस्की के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, अब यह न केवल वॉल्यूम में सबसे बड़ा बाजार है, बल्कि मूल्य के मामले में भी शीर्ष पर पहुंचने की ओर अग्रसर है। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के CEO मार्क केंट के अनुसार, भारतीय सिंगल मॉल्ट ब्रांड्स की बढ़ती प्रतिष्ठा और आगामी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से व्यापारिक अवसरों में वृद्धि की उम्मीद है। जानें कैसे यह साझेदारी भारतीय और स्कॉटिश उद्योगों के लिए नए अवसर पैदा कर सकती है।
 

भारत का स्कॉच व्हिस्की बाजार


भारत अब केवल स्कॉच व्हिस्की का सबसे बड़ा वॉल्यूम बाजार नहीं है, बल्कि आने वाले वर्षों में यह मूल्य के मामले में भी शीर्ष स्थान पर पहुंचने की दिशा में अग्रसर है। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन (SWA) के CEO मार्क केंट ने बताया कि देश में स्कॉच की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एसोसिएशन भारतीय सिंगल मॉल्ट ब्रांड्स के साथ मिलकर न केवल यूके बल्कि अन्य वैश्विक बाजारों में भी अपने कारोबार को बढ़ाने की योजना बना रही है।


भारतीय सिंगल मॉल्ट की बढ़ती पहचान

मार्क केंट ने भारत में उभरते सिंगल मॉल्ट सेक्टर की प्रशंसा की, जिसने हाल के वर्षों में कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। उनका कहना है कि भारतीय मॉल्ट निर्माताओं के साथ सहयोग न केवल गुणवत्ता में सुधार करेगा, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी नया आयाम देगा। यह साझेदारी भारतीय व्हिस्की को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिला सकती है।


भारत बना स्कॉच निर्यात का सबसे बड़ा बाजार

स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 192 मिलियन बोतलों के निर्यात के साथ फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा स्कॉच व्हिस्की बाजार बन गया है। मूल्य के मामले में अमेरिका अभी भी शीर्ष पर है, जिसकी वैल्यू 971 मिलियन पाउंड है। मार्क केंट ने कहा कि भारत में प्रीमियम स्कॉच की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है।


एफटीए से व्यापारिक अवसरों का विस्तार

भारत और यूके के बीच प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) से दोनों देशों के लिए व्यापारिक अवसरों में वृद्धि की उम्मीद है। इस समझौते के तहत भारत ब्रिटिश व्हिस्की और जिन पर आयात शुल्क को 150% से घटाकर 75% करेगा, और अगले दस वर्षों में इसे 40% तक लाने की योजना है। इससे भारतीय बाजार में उच्च गुणवत्ता वाली स्कॉच की उपलब्धता बढ़ने और घरेलू उत्पादन को गति मिलने की संभावना है।


साझेदारी से उद्योगों को लाभ

मार्क केंट ने कहा कि स्कॉच के बल्क इम्पोर्ट में वृद्धि से भारतीय निर्माताओं को भी लाभ होगा, जिससे IMFL उत्पादन में सुधार आएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सही टैक्स और नियामक ढांचे से निवेश, व्यापार और राज्यों की एक्साइज आय में वृद्धि होगी। केंट ने आशा व्यक्त की कि भारत और स्कॉटलैंड की यह साझेदारी शराब उद्योग के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगी।