×

भारतीय बैंकों की बचत जमा दरें ऐतिहासिक न्यूनतम पर पहुंची

भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया बुलेटिन में बताया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बचत जमा दरें 2011 के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि कैसे इन दरों में गिरावट आई है और इसका वित्तीय बाजार पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, आरबीआई द्वारा की गई नीतिगत परिवर्तनों का भी विश्लेषण किया गया है।
 

बचत जमा दरों में गिरावट

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हालिया बुलेटिन के अनुसार, 2011 में विनियमन समाप्त होने के बाद से सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों की बचत जमा दरें अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं।


आरबीआई के जुलाई बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों की नई जमाओं के लिए भारित औसत घरेलू सावधि जमा दरों में महत्वपूर्ण कमी आई है।


आरबीआई ने अक्टूबर 2011 में बचत बैंक जमा ब्याज दर को विनियमन मुक्त कर दिया, जिससे बैंकों को अपनी इच्छानुसार ब्याज दरें निर्धारित करने की स्वतंत्रता मिली।


सरकार ने सितंबर तिमाही के दौरान लघु बचत योजनाओं की दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया। लेख में उल्लेख किया गया है कि इन योजनाओं पर लागू दरें फॉर्मूला आधारित दरों से 0.33 से 1.18 प्रतिशत अधिक हैं।


इसके अलावा, फरवरी 2025 में नीतिगत रेपो दर में एक प्रतिशत की कमी के बाद बैंकों ने अपनी रेपो से जुड़ी बाहरी बेंचमार्क आधारित उधारी दरों में भी एक प्रतिशत की कटौती की।


इससे वाणिज्यिक बैंकों के नए और बकाया रुपया ऋणों पर भारित औसत कर्ज दरें क्रमशः 0.26 प्रतिशत और 0.18 प्रतिशत कम हुईं। इसी अवधि में नई और बकाया जमाओं पर भारित औसत घरेलू सावधि जमा दरें क्रमशः 0.51 प्रतिशत और 2 प्रतिशत तक घट गईं।