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भारतीय रिजर्व बैंक का नया गोल्ड लोन नियम: NBFCs पर प्रभाव

भारतीय रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन के लिए एक नया नियम लागू किया है, जिससे NBFCs पर प्रभाव पड़ेगा। जोखिम भार को 100% से बढ़ाकर 125% करने से बैंकों के लिए गोल्ड लोन देना महंगा हो जाएगा। इससे ग्राहकों पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि NBFCs ब्याज दरें बढ़ा सकती हैं। यह कदम वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए उठाया गया है। जानें इस बदलाव के संभावित परिणाम और बाजार की नई गतिशीलता के बारे में।
 

गोल्ड लोन के लिए RBI का नया नियम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम जारी किया है, जो इस क्षेत्र में बड़े बदलावों का संकेत देता है। यह नियम विशेष रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) पर प्रभाव डालेगा, जो गोल्ड लोन के कारोबार में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।


RBI ने बैंकों द्वारा NBFCs को दिए जाने वाले गोल्ड लोन पर जोखिम भार (Risk Weight) को बढ़ाकर 125% कर दिया है, जबकि पहले यह 100% था।


इसका अर्थ यह है कि बैंकों के लिए NBFCs को गोल्ड लोन देना अब महंगा और जोखिम भरा हो जाएगा। बैंकों को इन कर्जों के लिए अपनी पूंजी का एक बड़ा हिस्सा अलग रखना होगा।


इस बदलाव का प्रभाव मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी प्रमुख गोल्ड लोन NBFCs पर पड़ेगा, जिन्हें अब बैंकों से अधिक ब्याज दर पर कर्ज मिल सकता है। इससे उनके लिए पूंजी जुटाना महंगा हो जाएगा।


ग्राहकों पर भी इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि NBFCs महंगे कर्ज के चलते गोल्ड लोन पर ब्याज दरें बढ़ा सकती हैं।


यह कदम गोल्ड लोन बाजार की गतिशीलता को बदल सकता है, जिससे NBFCs को अपनी फंडिंग रणनीतियों और व्यापार मॉडल पर पुनर्विचार करना होगा। RBI का यह निर्णय वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और संभावित जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से लिया गया है।