यूपी में एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती में फर्जीवाड़ा: एक व्यक्ति के नाम पर कई पदों का वेतन
यूपी स्वास्थ्य विभाग में भर्ती फर्जीवाड़ा
एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती में फर्जीवाड़ा: उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में एक्स-रे टेक्नीशियन की भर्ती से जुड़े फर्जीवाड़े ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां लाखों युवा रोजगार की तलाश में हैं, वहीं एक व्यक्ति एक से अधिक पदों का वेतन ले रहा है। इस मामले की जांच चल रही है, जिसमें मुख्य आरोपी अर्पित सिंह के बारे में जानकारी सामने आई है। 2016 में हुई इन नियुक्तियों में और भी नामों का खुलासा होना बाकी है।
हाथरस से अर्पित सिंह का नाम सामने आया
2016 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित 403 टेक्नीशियन की सूची के आधार पर नियुक्ति के आदेश महानिदेशालय में तैनात निदेशक पैरामेडिकल ने जारी किए थे। अर्पित सिंह को हाथरस सीएमओ के अधीन तैनाती मिली थी। अन्य जिलों में भी अर्पित के नाम से फर्जी नौकरी करने का खुलासा हुआ है। हर महीने अर्पित सिंह को 69,595 रुपये का वेतन मिल रहा था, जिससे एक साल में उसे 8,35,140 रुपये की सैलरी मिली। 9 सालों में केवल एक जिले से उसे 75,16,260 रुपये का भुगतान किया गया है। इस प्रकार, 9 सालों में लगभग 4.5 करोड़ रुपये केवल कुछ व्यक्तियों ने विभाग से प्राप्त कर लिए हैं।
इस मामले में सभी सीएमओ से तैनाती और वेतन जारी करने के दस्तावेज मांगे गए हैं। हाथरस, रामपुर, फर्रुखाबाद, बदायूं, बलरामपुर और बांदा के जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों ने महानिदेशालय में जाकर संबंधित एक्स-रे टेक्नीशियन के मामले में पत्रावलियां सौंपी हैं।
अधिक नामों का खुलासा होना बाकी
सूत्रों के अनुसार, अर्पित और अंकित के नाम से छह-छह जिलों में लोगों के एक्स-रे टेक्नीशियन पद पर नौकरी करने और वेतन प्राप्त करने की जानकारी सामने आई है। इसके अलावा, अनुकर अंकुर के नाम से भी दो एक्स-रे टेक्नीशियनों के नौकरी करने का खुलासा हुआ है। अब इस फर्जीवाड़े की जांच की जा रही है। जांच के दौरान हाथरस को छोड़कर अन्य पांच एक्स-रे टेक्नीशियन गायब हो गए हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि चयनित 403 टेक्नीशियन की सूची के आधार पर और कितने लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किए गए हैं।
तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ संभव
एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशालय के तत्कालीन महानिदेशक, निदेशक पैरामेडिकल, संयुक्त निदेशक पैरामेडिकल और अन्य संबंधित अधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन महानिदेशक और निदेशक अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पूछताछ में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि इन अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कैसे हुआ।
बेरोजगारी के दौर में एक ही व्यक्ति कई पदों पर तैनात
यह एक्स-रे टेक्नीशियन फर्जीवाड़ा भर्ती और तैनाती की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, जहां एक ओर युवाओं के लिए नौकरी पाना कठिन हो गया है। वे रोजगार के लिए भटक रहे हैं, जबकि अर्पित सिंह और अंकित जैसे लोग फर्जी भर्ती के माध्यम से विभिन्न पदों का वेतन और अन्य लाभ ले रहे हैं। ऐसे फर्जीवाड़ों को बढ़ती बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं होगा।