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रूस-भारत संबंधों में नई ऊर्जा: पुतिन का मोदी से महत्वपूर्ण संवाद

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में भारत का दौरा किया, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ऊर्जा और व्यापारिक संबंधों पर महत्वपूर्ण चर्चा की। इस दौरान पुतिन ने भारत को ऊर्जा आपूर्ति में निरंतरता का आश्वासन दिया और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि की संभावना पर भी बात की। जानें इस मुलाकात के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।
 

पुतिन का भारत दौरा और ऊर्जा सहयोग


रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में भारत का दो दिवसीय दौरा किया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गहन चर्चा की। इस मुलाकात के बाद, दोनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें पुतिन ने भारत को ऊर्जा आपूर्ति में निरंतरता का आश्वासन दिया।


अमेरिका का दबाव और पुतिन का आश्वासन

यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह रूसी तेल की खरीद को कम करे। ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाकर कुल टैरिफ को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है।


नई दिल्ली में मोदी के साथ बैठक के दौरान, पुतिन ने कहा कि रूस भारत के लिए ऊर्जा क्षेत्र में एक स्थायी और भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक सभी संसाधनों की आपूर्ति करने के लिए तैयार है।


रूस-भारत संबंधों की मजबूती

पुतिन ने रूस-भारत संबंधों को वैश्विक मंचों पर मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देश ब्रिक्स, एससीओ और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति का समर्थन करते हैं।


उन्होंने यह भी बताया कि रूस और भारत मिलकर नए अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारों के निर्माण पर कार्य कर रहे हैं, जिसमें नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसी महत्वपूर्ण परियोजना शामिल है।


व्यापारिक संबंधों में वृद्धि

ऊर्जा सहयोग के अलावा, पुतिन ने परमाणु क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत में सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण में रूस और भारत साझेदार हैं।


पुतिन ने यह भी कहा कि पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार में लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 64 अरब डॉलर तक पहुंच गई। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देश इस आंकड़े को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने में सक्षम होंगे।