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रेपो रेट में कटौती: EMI पर प्रभाव और ग्राहकों के लिए राहत

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में की गई रेपो रेट में कटौती ने ग्राहकों के लिए EMI में राहत का अवसर प्रदान किया है। यह लेख बताता है कि कैसे यह कमी होम, पर्सनल और ऑटो लोन पर प्रभाव डालती है। जानें कि 10 लाख रुपये के लोन पर ग्राहकों को कितनी बचत होगी और फ्लोटिंग रेट लोन धारकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस साल की शुरुआत से अब तक की गई कटौती का भी विश्लेषण किया गया है।
 

रेपो रेट में कटौती का प्रभाव


नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कमी का सीधा असर आम जनता की वित्तीय स्थिति पर पड़ता है। यह दर वह है जिस पर बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं, और इसी के आधार पर उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें निर्धारित होती हैं।


लगातार दो बार स्थिर रहने के बाद, इस बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती ने ग्राहकों के लिए राहत का अवसर प्रदान किया है। विशेष रूप से, जो लोग फ्लोटिंग ब्याज दर पर होम, पर्सनल या ऑटो लोन चुका रहे हैं, उन्हें EMI में सीधी बचत का लाभ मिलेगा।


EMI में कमी का प्रभाव

जब भी रेपो रेट में कमी आती है, तो बैंकों की लेंडिंग रेट भी घटती है। यदि आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है, तो नई दर लागू होते ही EMI में कमी देखी जाती है। इससे हर महीने थोड़ी-थोड़ी बचत होती रहती है। दूसरी ओर, जो ग्राहक फिक्स्ड रेट पर लोन ले चुके हैं, उन्हें इस कटौती का लाभ नहीं मिलता। यह कमी उन उपभोक्ताओं के लिए राहत है जो लंबे समय से बढ़ती EMI से परेशान थे।


10 लाख के लोन पर प्रभाव

उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 10 लाख रुपये का 5 साल का होम लोन है और ब्याज दर 9 प्रतिशत है, तो रेपो रेट घटने के बाद यह 8.75 प्रतिशत हो जाएगी। पहले EMI 20,758 रुपये थी, जो अब 20,637 रुपये पर आ जाएगी। इसका मतलब है कि हर महीने 121 रुपये की बचत होगी। यह छोटी राशि पांच साल में मिलाकर कुल 7,260 रुपये बचाती है, जो उपभोक्ता के लिए महत्वपूर्ण राहत है।


ग्राहकों को ध्यान देने योग्य बातें

फ्लोटिंग रेट लोन वाले ग्राहकों को यह कटौती अपने बैंक की वेबसाइट, नोटिफिकेशन या मोबाइल ऐप पर चेक करनी चाहिए। कई बार ब्याज दरें तुरंत अपडेट नहीं होतीं, इसलिए बैंक से संपर्क करना आवश्यक है। EMI कम करने या लोन अवधि को समायोजित करने के लिए ग्राहक अपने बैंक से अनुरोध कर सकते हैं। EMI में बदलाव आपके वित्तीय योजना को भी बेहतर बनाता है।


इस वर्ष की रेपो रेट में कमी

इस वर्ष की शुरुआत में रेपो रेट 6.50 प्रतिशत थी। लगातार दो बार स्थिर रहने के बाद, अब यह 5.25 प्रतिशत पर आ गई है। इस प्रकार, सालभर में कुल 1.25 प्रतिशत की कमी हुई है। यह कटौती उन लोगों के लिए राहत का कारण बनी है जो पहले से लोन चुका रहे हैं और नई किस्तों के बोझ को कम करना चाहते थे।


लोन योजना पर प्रभाव

नया लोन लेने की योजना बना रहे ग्राहकों के लिए यह समय लाभकारी हो सकता है। कम ब्याज दरों पर लिया गया लोन लंबे समय में काफी रकम बचाता है। हालांकि, ग्राहकों को अपनी आय, क्रेडिट स्कोर और लोन अवधि जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। सही तुलना और समझदारी से लिया गया निर्णय वित्तीय बोझ को कम कर सकता है।