वोडाफोन आइडिया को मिली राहत, एजीआर बकाये पर पांच साल की मोहलत
नई दिल्ली में राहत की घोषणा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वोडाफोन आइडिया को 2025 के अंत तक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। सरकार ने कंपनी के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) से संबंधित बकायों के लिए राहत पैकेज को स्वीकृति दी है। यह निर्णय वोडाफोन आइडिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कंपनी लंबे समय से वित्तीय संकट और भारी कर्ज का सामना कर रही है।
शेयर बाजार में गिरावट
हालांकि राहत की खबर के बावजूद, वोडाफोन आइडिया के शेयरों में गिरावट देखी गई। दिन के दौरान कंपनी के शेयरों में लगभग 18 प्रतिशत की कमी आई, और अंत में यह लगभग 12 प्रतिशत नीचे बंद हुए। विशेषज्ञों का मानना है कि नए साल की शुरुआत पर, 1 जनवरी को शेयरों में सुधार संभव है।
एजीआर राहत पैकेज का अनुमोदन
रिपोर्टों के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने 31 दिसंबर को एजीआर से संबंधित राहत पैकेज को मंजूरी दी। इस निर्णय के तहत वोडाफोन आइडिया को अपने एजीआर बकायों के भुगतान में पांच साल की छूट दी गई है, जिससे कंपनी को फिलहाल इस बकाये का भुगतान नहीं करना होगा। इसके अतिरिक्त, सरकार ने कंपनी के मौजूदा कर्ज को कुछ समय के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है, जिससे कंपनी को अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने का अवसर मिलेगा।
87,695 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया
वर्तमान में वोडाफोन आइडिया पर लगभग 87,695 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। मार्च 2025 से कंपनी को हर साल लगभग 18,000 करोड़ रुपये चुकाने थे। कंपनी ने पहले ही स्पष्ट किया है कि यदि उसे सरकार या निवेशकों से वित्तीय सहायता नहीं मिली, तो उसका संचालन कठिन हो जाएगा। बैंक भी कंपनी की कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण उसे कर्ज देने से हिचकिचा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
वोडाफोन आइडिया के पास लगभग 18,000 कर्मचारी हैं और इसके ग्राहक संख्या लगभग 19.8 करोड़ है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कंपनी के सभी बकायों का पुनर्मूल्यांकन करने की अनुमति दी थी, जिसमें ब्याज और जुर्माना भी शामिल हैं। यह निर्णय भी कंपनी के लिए राहत के रूप में देखा गया था।
ब्याज और पेनल्टी माफ करने की मांग
सितंबर में, वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार विभाग द्वारा लगाए गए 9,450 करोड़ रुपये के एजीआर डिमांड पर ब्याज और पेनल्टी माफ करने की मांग की थी। इससे पहले, मार्च 2025 में सरकार ने कंपनी के 36,950 करोड़ रुपये के बकाये को इक्विटी में बदल दिया था।
भविष्य की रणनीति की आवश्यकता
इस निर्णय के बाद, सरकार वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन गई, और उसकी हिस्सेदारी लगभग 49 प्रतिशत हो गई। सरकार के इस हालिया निर्णय से वोडाफोन आइडिया को कुछ समय की राहत मिली है, लेकिन कंपनी की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आगे भी बड़े निवेश और मजबूत कारोबारी रणनीति की आवश्यकता होगी।