सेबी ने एफएंडओ ट्रेडिंग के लिए नए नियमों की घोषणा की
नए नियमों का प्रभाव और उद्देश्य
मुंबई - भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फ्यूचर और ऑप्शंस (एफएंडओ) के लिए नए सख्त नियमों की घोषणा की है, जो एक अक्टूबर से लागू होंगे। इन नियमों के अंतर्गत डेरिवेटिव ट्रेडिंग में पोजिशन लिमिट को कड़ा किया गया है। इसके साथ ही, बैन में गए स्टॉक्स की पोजिशन के लिए नियमों में संशोधन और निगरानी को भी बढ़ाया गया है।
सट्टेबाजी को नियंत्रित करने के लिए कदम
इन नए नियमों का मुख्य उद्देश्य अत्यधिक सट्टेबाजी को कम करना और जोखिम को कैश मार्केट गतिविधियों के साथ संरेखित करना है। सेबी ने बताया कि मार्केट-वाइड पोजिशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) और बेट्स की अधिकतम सीमाएं कैश वॉल्यूम और शेयर के फ्री फ्लोट से जुड़ी होंगी। इसे फ्री फ्लोट के 15 प्रतिशत या एक्सचेंजों में कैश वॉल्यूम के 65 गुना में से जो भी कम हो, के रूप में निर्धारित किया गया है। सेबी ने यह भी कहा कि एमडब्ल्यूपीएल को तिमाही रूप से रोलिंग कैश वॉल्यूम डेटा के आधार पर अपडेट किया जाएगा।
निगरानी और ट्रेडिंग के नए नियम
सेबी ने यह स्पष्ट किया है कि ब्रोकर और ट्रेडर तब ही ट्रेड कर सकेंगे जब किसी शेयर का मार्केट ओपन इंटरेस्ट उस शेयर के एमडब्ल्यूपीएल के 95 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। इसके अलावा, 3 नवंबर, 2025 से एकल शेयरों के लिए एमडब्ल्यूपीएल की इंट्राडे निगरानी भी शुरू की जाएगी। क्लियरिंग कॉर्पोरेशन इंट्राडे ट्रेडिंग सत्र के दौरान कम से कम चार बार निगरानी करेगा। यदि कोई उल्लंघन होता है, तो एक्सचेंज अतिरिक्त निगरानी मार्जिन लगाने सहित कार्रवाई करेगा।
प्री-ओपन सेशन का विस्तार
सेबी ने यह भी बताया कि 6 दिसंबर, 2025 से ट्रेडिंग सुविधा और तरलता प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए प्री-ओपन सेशन को एफएंडओ तक बढ़ा दिया जाएगा, जैसा कि नकद बाजार में होता है।