हिमाचल प्रदेश में ई-पीओएस उपकरणों की निविदा रद्द करने की अनुमति
उच्चतम न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय
उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश सरकार को उचित मूल्य की दुकानों के लिए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट-ऑफ-सेल (ई-पीओएस) उपकरणों की खरीद से संबंधित विवादास्पद निविदा को रद्द करने की अनुमति दी है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सोमवार को अपने पहले निर्णय में कहा कि राज्य सरकार को निजी कंपनी ओएसिस साइबरनेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में जारी आशय पत्र (एलओआई) को वापस लेने का पूरा अधिकार है।
इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने मई 2024 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें एलओआई को बहाल किया गया था।
न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि इस मामले में दो प्रमुख प्रश्न थे: क्या 2 सितंबर 2022 को जारी एलओआई कंपनी के लिए कोई बाध्यकारी अधिकार उत्पन्न करता है, और क्या इसे रद्द करने का राज्य का निर्णय मनमाना था या प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ था।
पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि एलओआई किसी भी स्थिति में एक पूर्ण अनुबंध में परिवर्तित नहीं हुआ था। इसलिए, 6 जून 2023 को इसे रद्द करना 'प्रशासनिक विवेक का वैध उपयोग' था और इसमें हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं था।
इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह उचित मूल्य की दुकानों के लिए ई-पीओएस मशीनों की आपूर्ति और रखरखाव से संबंधित नई निविदा जारी करने के लिए स्वतंत्र है। ओएसिस कंपनी भी निर्धारित पात्रता शर्तों के तहत इस प्रक्रिया में भाग ले सकेगी।
यह विवाद हिमाचल प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आधुनिक बनाने की योजना से संबंधित था, जिसमें ई-पीओएस मशीनों को आधार-आधारित बायोमीट्रिक और आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग जैसी सुविधाओं से लैस किया जाना था।