CBSE का नया नियम: 75% उपस्थिति अनिवार्य, जानें सभी विवरण
CBSE का नया नियम
CBSE उपस्थिति पर नया नियम: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026 की बोर्ड परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। 2025-26 सत्र के कक्षा 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को अब न्यूनतम 75% उपस्थिति अनिवार्य रूप से बनाए रखनी होगी। इस संबंध में बोर्ड ने 4 अगस्त को एक आधिकारिक परिपत्र जारी किया, जिसका उद्देश्य स्कूलों में अनुशासन को बढ़ावा देना और फर्जी अभ्यर्थियों पर नियंत्रण पाना है।
CBSE ने परीक्षा उपनियमों के नियम 13 और 14 का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया है कि निर्धारित उपस्थिति को पूरा न करने वाले छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे गंभीर बीमारी, पारिवारिक शोक या राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी के लिए छूट दी जा सकती है, लेकिन इसके लिए उचित दस्तावेज़ प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
नियमों की स्पष्टता
बोर्ड ने यह स्पष्ट किया है कि बिना आवेदन के ली गई छुट्टियों को अनधिकृत अनुपस्थिति माना जाएगा और ऐसे मामलों में रिकॉर्ड को हेरफेर करने की कोशिश करने वाले स्कूलों या छात्रों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
स्कूलों पर निगरानी
CBSE ने अपने संबद्ध स्कूलों में औचक निरीक्षण का आदेश दिया है। यदि स्कूलों के उपस्थिति रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी पाई गई या वे अधूरे मिले, तो स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है। सभी उपस्थिति रजिस्टरों को प्रतिदिन अपडेट करना और कक्षा शिक्षक तथा प्रधानाचार्य से हस्ताक्षर करवाना अनिवार्य होगा। स्कूलों को छात्रों और अभिभावकों के साथ संवाद का रिकॉर्ड भी रखना होगा।
डेडलाइन और आवश्यक दस्तावेज़
छात्रों की उपस्थिति की गणना 1 जनवरी 2026 तक की जाएगी। यदि किसी छात्र का उपस्थिति प्रतिशत कम है, तो 7 जनवरी तक क्षमादान के लिए आवेदन जमा करना होगा। इस तिथि के बाद भेजे गए किसी भी अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मेडिकल छुट्टी के लिए प्रमाणित डॉक्टर की रिपोर्ट और अन्य गंभीर कारणों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज़ आवश्यक होंगे।
CBSE का संदेश
CBSE ने यह स्पष्ट किया है कि उपस्थिति का उद्देश्य केवल रिकॉर्ड बनाना नहीं है, बल्कि छात्रों में अनुशासन, नियमितता और जिम्मेदारी की भावना को विकसित करना है। बोर्ड ने सभी स्कूलों से अनुरोध किया है कि वे शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में ही छात्रों और अभिभावकों को नियमों से अवगत करा दें ताकि किसी भी छात्र को बाद में समस्या का सामना न करना पड़े।