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HTET परिणाम विवाद: बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद बढ़ी संख्या पर उठे सवाल

हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा (HTET) के परिणाम में बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद 1284 अभ्यर्थियों की संख्या में वृद्धि ने विवाद खड़ा कर दिया है। बोर्ड अधिकारियों ने स्पष्टीकरण दिया है कि यह 'बेनिफिट ऑफ डाउट' के तहत किया गया, लेकिन इससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह पहली बार है जब इतने अभ्यर्थियों को लाभ मिला? जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और बोर्ड के दावों की सच्चाई।
 

HTET परिणाम विवाद: चंडीगढ़

हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा (HTET) के परिणाम इस बार विवादों में आ गए हैं। बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद 1284 अभ्यर्थियों की संख्या में वृद्धि ने बोर्ड प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यह मुद्दा बोर्ड अधिकारियों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है।


बोर्ड चेयरमैन का स्पष्टीकरण

बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि अभ्यर्थियों को 'बेनिफिट ऑफ डाउट' दिया गया है, लेकिन यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को यह छूट कैसे दी जा सकती है। इससे पहले HTET में कभी भी इतने अभ्यर्थियों को ऐसा लाभ नहीं मिला।


OMR शीट और नियमों पर उठे सवाल

परीक्षा के नियम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि OMR शीट में गोले को सही तरीके से भरना आवश्यक है। गलत विकल्प, हल्का निशान या फिका गोला सभी मानकों के अनुसार गलत माने जाते हैं। ऐसे में, इन त्रुटियों के बावजूद अभ्यर्थियों को लाभ मिलना संदेह पैदा करता है और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।


बोर्ड अध्यक्ष का स्पष्टीकरण—‘कोई गलती नहीं हुई’

बोर्ड अध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि इस बार HTET का पहली बार ऑडिट कराया गया है। विभिन्न एजेंसियों ने परीक्षा परिणाम की जांच की और रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की गलती नहीं पाई गई।


बोर्ड का दावा

जिन अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ी है, उन्हें बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए बुलाया जाएगा। परीक्षा में कुल 31,000 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए 46,094 उम्मीदवारों को बुलाया गया। जब 10 नवंबर को परिणाम घोषित हुए, तो यह संख्या घटकर 43,378 रह गई।


सबसे बड़े सवाल

जब पूरा परिणाम कैमरे की निगरानी में तैयार हुआ, तो संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी? पेपर सेट करने, परीक्षाएं लेने और परिणाम बनाने का कार्य अलग-अलग कंपनियों ने किया, और 3-4 बार सत्यापन भी हुआ—तो नया परिणाम किस आधार पर आया?


पारदर्शिता पर सवाल

यदि सब कुछ पारदर्शी था, तो संदेह की स्थिति कैसे उत्पन्न हुई? इन सवालों के जवाब अभी भी अभ्यर्थियों और शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।