गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में 11 साल से फंसा छात्र: एमबीबीएस की पहली साल की परीक्षा में असफल
गोरखपुर का अनोखा मामला
गोरखपुर: आमतौर पर एमबीबीएस की पढ़ाई को पूरा करने में साढ़े पांच साल लगते हैं, लेकिन गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से एक ऐसा मामला सामने आया है जो सभी को चौंका रहा है। यहाँ 2014 बैच का एक छात्र पिछले 11 वर्षों से एमबीबीएस के पहले वर्ष में फंसा हुआ है। इस 56 साल पुराने मेडिकल कॉलेज ने कई उत्कृष्ट डॉक्टर तैयार किए हैं, लेकिन अब यह छात्र कॉलेज प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गया है। आश्चर्य की बात यह है कि एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी वह न तो परीक्षा पास कर सका है और न ही हॉस्टल छोड़ने को तैयार है।
परीक्षा में असफलता
जानकारी के अनुसार, आजमगढ़ का निवासी यह छात्र 2014 में सीपीएमटी के माध्यम से एससी कोटे से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दाखिल हुआ था। रिकॉर्ड के अनुसार, उसने 11 वर्षों में केवल एक बार एमबीबीएस प्रथम वर्ष की परीक्षा दी, जिसमें वह सभी विषयों में असफल रहा। इसके बाद से वह परीक्षाओं से दूर भागता रहा है। शिक्षकों ने उसे विशेष कक्षाएं देने की पेशकश की, लेकिन उसने इनकार कर दिया। हॉस्टल के वार्डन ने कॉलेज प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर बताया है कि इस छात्र के कारण अन्य छात्रों को कठिनाई हो रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
छात्र का उपनाम 'दरोगा'
कॉलेज परिसर में यह छात्र अपनी पढ़ाई से ज्यादा अपने उपनाम 'दरोगा' के कारण चर्चा में रहता है। उसके पिता पुलिस विभाग में दरोगा हैं, शायद इसी कारण उसके जूनियर्स और कॉलेज के स्टाफ उसे 'दरोगा' कहकर बुलाते हैं। 11 वर्षों से एक ही कक्षा में रहने के कारण वह कॉलेज का सबसे सीनियर 'जूनियर' बन गया है।
कॉलेज प्रशासन की प्रतिक्रिया
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामकुमार ने कहा कि उन्हें हाल ही में इस मामले की जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि कॉलेज प्रशासन और शिक्षकों ने कई बार छात्र की काउंसलिंग की है और उसे परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया है, लेकिन वह पढ़ाई से भागता है। प्राचार्य ने कहा कि अब इस मामले को कॉलेज की अकादमिक समिति के सामने रखा जाएगा और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को विवरण भेजा जाएगा, ताकि छात्र के भविष्य पर अंतिम निर्णय लिया जा सके।
नियमों की पेचीदगी
इस मामले में नियमों की जटिलता भी है। NMC के 2023 के नियमों के अनुसार, एमबीबीएस फर्स्ट ईयर पास करने के लिए अधिकतम चार प्रयास मिलते हैं और पूरा कोर्स 9 साल में खत्म करना होता है। लेकिन, यह छात्र 2014 बैच का है, जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के नियम लागू होते थे। उस समय फर्स्ट ईयर पास करने के लिए प्रयासों की समय सीमा इतनी सख्त नहीं थी। इसी कानूनी पेच का फायदा उठाकर यह छात्र अब तक कॉलेज में बना हुआ है, जबकि नए नियमों के तहत उसका एडमिशन कब का रद्द हो चुका होता।