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दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस निर्धारण के लिए नई पारदर्शी व्यवस्था

दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए एक नया कानून लागू किया है। शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद ने बताया कि 2025-26 से प्रभावी होने वाले इस कानून के तहत स्कूल स्तर पर SLFRC और जिला स्तर पर DLFRC का गठन अनिवार्य होगा। यह कदम अभिभावकों के हितों की रक्षा और फीस निर्धारण में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है। जानें इस नई व्यवस्था के बारे में और कैसे यह शिक्षा प्रणाली को प्रभावित करेगा।
 

नई फीस निर्धारण प्रणाली का ऐलान

-SLFRC और DLFRC के माध्यम से स्कूल फीस का निर्धारण, 2025-26 से लागू होगा नया तंत्र: शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद


-शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद ने कहा: हर बच्चे के हित में संतुलित समाधान, टकराव नहीं हमारी नीति


नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद ने बताया कि ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन (ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस) एक्ट, 2025’ को शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। इस कानून के सफल कार्यान्वयन के लिए स्कूल और जिला स्तर पर दो महत्वपूर्ण समितियों, स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी (SLFRC) और डिस्ट्रिक्ट लेवल फीस अपीलेट कमेटी (DLFRC) का गठन अनिवार्य किया गया है।


शिक्षा मंत्री ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि यह कानून 1973 से लागू दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट का पूरक है, जिसका उद्देश्य निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और अभिभावकों के हितों की रक्षा करना है। उन्होंने बताया कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिक्षा मिशन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में व्यापक विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया है। हर निजी स्कूल में SLFRC का गठन 10 जनवरी 2026 तक अनिवार्य होगा। इस समिति में स्कूल प्रबंधन का अध्यक्ष, प्रधानाचार्य, तीन शिक्षक, पांच अभिभावक और शिक्षा निदेशालय का एक प्रतिनिधि शामिल होगा। समिति का गठन लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति भी की जाएगी।


SLFRC का मुख्य कार्य स्कूल द्वारा प्रस्तावित फीस संरचना की जांच करना और 30 दिनों के भीतर उस पर निर्णय लेना होगा। पहले जहां स्कूलों को फीस प्रस्ताव एक अप्रैल तक प्रस्तुत करना होता था, वहीं अब नए कानून के तहत 25 जनवरी 2026 तक फीस प्रस्ताव SLFRC के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। यदि समिति समय पर निर्णय नहीं लेती है, तो मामला स्वतः DLFRC के पास चला जाएगा। DLFRC को फीस विवादों के निपटारे और अपीलों पर निर्णय का अधिकार दिया गया है, जिससे अभिभावकों को एक निष्पक्ष मंच उपलब्ध होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि किसी भी स्तर पर मनमानी की गुंजाइश न रहे और हर निर्णय नियमों के दायरे में हो।


शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार निजी और सरकारी स्कूलों के बीच टकराव की राजनीति नहीं करती, बल्कि समाधान की नीति पर कार्य कर रही है। दिल्ली में लगभग 37-38 लाख बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और सरकार के लिए हर बच्चा समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह कानून न तो स्कूलों के खिलाफ है और न ही शिक्षकों के विरुद्ध, बल्कि इसका उद्देश्य एक संतुलित, पारदर्शी और भरोसेमंद प्रणाली विकसित करना है।


शिक्षा मंत्री ने कहा कि नए कानून और समितियों के गठन से फीस निर्धारण को लेकर वर्षों से उठते सवालों का स्थायी समाधान निकलेगा। सरकार का संकल्प है कि अभिभावकों का शोषण किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा और स्कूलों को भी नियमबद्ध ढंग से संचालन का स्पष्ट मार्ग मिलेगा। उन्होंने कहा कि SLFRC और DLFRC के गठन के साथ दिल्ली में स्कूल फीस व्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर रही है, जहां पारदर्शिता, सहभागिता और समयबद्ध निर्णय प्रक्रिया को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।