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भारत में करियर काउंसलिंग की कमी: छात्रों की चुनौतियाँ और समाधान

भारत में करियर काउंसलिंग की स्थिति चिंताजनक है, जहां केवल 10% छात्रों को विशेषज्ञ मार्गदर्शन मिलता है। अधिकांश छात्र पारिवारिक दबाव के कारण अनचाहे करियर चुनते हैं, जिससे कार्यस्थल पर असंतोष बढ़ता है। रिपोर्टों के अनुसार, आधे स्नातक उद्योग के मानकों के अनुसार योग्य नहीं हैं। इस लेख में, हम करियर काउंसलिंग की कमी, छात्रों की चुनौतियों और सुधार के उपायों पर चर्चा करेंगे।
 

करियर काउंसलिंग की स्थिति

करियर काउंसलिंग: क्या आप अपने स्कूल के दिनों में देखे गए सपनों को पूरा कर रहे हैं? अधिकांश भारतीय छात्रों के लिए इसका उत्तर अनिश्चितता से भरा है। संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में केवल 10% छात्रों को विशेषज्ञ करियर काउंसलिंग प्राप्त होती है। शेष 90% छात्र परिवार, सामाजिक दबाव या 'सुरक्षित' नौकरियों के आकर्षण में भटकते हैं.


अनचाहे करियर और कार्यस्थल पर असंतोष

भारत के कार्यस्थलों पर असंतुष्ट पेशेवरों की कहानी आम है। गैलप 2024 की वैश्विक कार्यस्थल रिपोर्ट के अनुसार, केवल 14% भारतीय कर्मचारी खुद को 'समृद्ध' मानते हैं, जो वैश्विक औसत 34% से काफी कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह असंतोष करियर चयन में रुचि और कौशल के गलत तालमेल से उपजता है। 90% छात्र परिवार या रिश्तेदारों के सुझावों पर निर्भर रहते हैं, जो अक्सर पुराने जमाने की नौकरियों को आदर्श मानते हैं। प्रोफेशनल मार्गदर्शन केवल कुछ भाग्यशाली लोगों को ही मिल पाता है.


भारतीय स्नातकों की रोजगार योग्यता

आधे भारतीय ग्रेजुएट उद्योग के मानकों के हिसाब से रोजगार के योग्य नहीं

इंडिया स्किल्स रिपोर्ट और नैसकॉम सर्वे बताते हैं कि लगभग आधे भारतीय स्नातक उद्योग के मानकों के लिए रोजगार योग्य नहीं हैं। इंजीनियरिंग में यह आंकड़ा और खराब है, जहां केवल 20-25% स्नातक ही नौकरी के लिए तैयार होते हैं। यह असंगति नौकरी साक्षात्कार के समय नहीं, बल्कि उससे पहले, करियर चयन के समय शुरू होती है। छात्र अक्सर उन कोर्स को चुनते हैं, जिन्हें वे न समझते हैं, न ही पसंद करते हैं.


करियर काउंसलिंग की कमी

करियर काउंसलिंग की कमी

भारत में सरकारी स्कूलों में करियर काउंसलिंग लगभग न के बराबर है, और निजी स्कूलों में भी यह सुविधा चुनिंदा है। यासिर अली, YAC एडटेक के निदेशक, कहते हैं, “छात्रों को संरचित मार्गदर्शन की कमी के कारण, वे परिवार या परीक्षा परिणामों के आधार पर परिचित विकल्प चुनते हैं, न कि अपनी योग्यता के आधार पर।” निजी स्कूलों में 41% और सरकारी स्कूलों में 35% छात्र करियर चयन को लेकर अनिश्चित हैं.


समाधान की दिशा में कदम

समाधान की दिशा में कदम

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में व्यावसायिक और बहुविषयक शिक्षा पर जोर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि कक्षा से ही योग्यता मूल्यांकन, करियर मेले और उद्योगों में इंटर्नशिप जैसे कदम इस संकट को कम कर सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूके जैसे देशों में करियर काउंसलिंग को शिक्षा का हिस्सा बनाया गया है, जिससे भारत को प्रेरणा लेनी चाहिए.