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रूस में भारतीय छात्रों की सुरक्षा पर बढ़ता संकट

भारत में मेडिकल शिक्षा की बढ़ती मांग के बीच, रूस में अध्ययन कर रहे छात्रों की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। हाल के महीनों में छात्रों को जबरन सेना में भर्ती करने की घटनाओं ने परिवारों और सरकार को चिंतित कर दिया है। कई छात्र धोखाधड़ी और कानूनी दबाव का शिकार हो चुके हैं। इस लेख में हम उन छात्रों की कहानियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जो युद्ध में फंस गए हैं और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए सरकार की कोशिशों पर चर्चा करेंगे।
 

रूस में मेडिकल शिक्षा का बढ़ता आकर्षण


नई दिल्ली: भारत में मेडिकल शिक्षा की मांग हर साल नई ऊंचाइयों को छू रही है। NEET परीक्षा में 20 लाख से अधिक छात्र भाग लेते हैं, लेकिन सीमित सीटों के कारण हजारों छात्र विदेश जाने का विकल्प चुनते हैं। रूस MBBS के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्यों में से एक है, जहां 30,000 से अधिक भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत केवल मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के लिए गए हैं। हालाँकि, इस बार खतरा किताबों से नहीं, बल्कि युद्ध के मैदान से जुड़ा हुआ है।


छात्रों की सुरक्षा पर चिंता

2026 में भी छात्र रूस जाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अब कॉलेज का चयन करने से ज्यादा महत्वपूर्ण अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हाल के महीनों में छात्रों को जबरन सेना में भर्ती करने और युद्ध में भेजने की घटनाओं ने परिवारों और सरकार दोनों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। कई छात्र धोखाधड़ी और कानूनी दबाव का शिकार हो चुके हैं। यह मुद्दा केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा का भी बन गया है।


सेना में भर्ती का नया खतरा

2024 और 2025 में कई रिपोर्टें आईं, जिनमें भारतीय छात्रों को स्टूडेंट वीजा पर रूस भेजा गया और फिर उन्हें यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, 202 भारतीय नागरिकों को रूस की सेना में भर्ती किया गया, जिनमें से 26 की मौत हो चुकी है और 7 अब भी लापता हैं। यह आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि इनमें से अधिकांश युवा पढ़ाई या भाषा कोर्स के लिए गए थे।


एजेंटों की धोखाधड़ी का मामला

छात्रों की जबरन भर्ती के पीछे कई बार एजेंटों की धोखाधड़ी और फर्जी वादे काम कर रहे हैं। युवाओं को बेहतर भविष्य का सपना दिखाकर बुलाया गया, फिर उन्हें फर्जी ड्रग तस्करी के मामलों में फंसाया गया और सैन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला गया। मंत्रालय का कहना है कि सरकार रूस के साथ लगातार बातचीत कर फंसे नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।


कुड्डालोर के छात्र की कहानी

तमिलनाडु के कुड्डालोर के 22 वर्षीय सरवनन, जो वोल्गोग्राड मेडिकल यूनिवर्सिटी में तीसरे वर्ष का छात्र था, को 2023 में फर्जी ड्रग केस में गिरफ्तार किया गया। परिवार के अनुसार, सेना में शामिल होने से इनकार करने पर उसे पीटा गया और दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर कराए गए। युद्ध के मैदान से भेजे गए वॉइस मैसेज ने उसके परिवार को उसकी स्थिति के बारे में बताया।


बीकानेर से आई दुखद खबर

राजस्थान के बीकानेर निवासी अजय गोडारा भी रूस में मेडिकल कोर्स के लिए गए थे, लेकिन बाद में उन्हें युद्ध में भेज दिया गया। परिवार को भेजे गए वीडियो में वह सैन्य पोशाक में दिखाई दिए। उन्हें किचन ड्यूटी का आश्वासन दिया गया, लेकिन फिर सेना में भर्ती कर लिया गया, जहां उनके साथ 15 भारतीय थे, जिनमें से 4 की मौत हो गई और अंत में अजय भी नहीं बच पाए।


मोरबी का छात्र और यूक्रेनी कैद

गुजरात के मोरबी निवासी साहिल ITMO यूनिवर्सिटी में रूसी भाषा सीखने गए थे। उन्हें भी झूठे ड्रग केस से बचने के लिए सेना में शामिल होने का दबाव दिया गया। वह युद्ध में शामिल हुए, लेकिन अक्टूबर 2025 में उन्हें यूक्रेनी सेना ने कैद कर लिया। अब उन्होंने भारत सरकार से मदद की अपील की है, ताकि उनकी सुरक्षित वापसी हो सके।


सूचना का स्रोत

यहां दी गई तमाम जानकारी अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट से ली गई हैं।