×

हिंदी भाषा की शिक्षा में चुनौतियाँ: मेडिकल और इंजीनियरिंग में असफलता

हिंदी भाषा की शिक्षा में कई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, विशेषकर मेडिकल और इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में। केंद्र सरकार ने हिंदी में मेडिकल शिक्षा की शुरुआत की, लेकिन मध्य प्रदेश में छात्रों ने हिंदी में परीक्षा नहीं दी। इस लेख में हम इन चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। क्या हिंदी में शिक्षा संभव है? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
 

हिंदी में शिक्षा का संकट

देश के विभिन्न राज्यों में हिंदी के प्रति नफरत के कई कारण उभर रहे हैं। जिन राज्यों का गठन भाषा के आधार पर हुआ है, वहां हिंदी को लगभग अछूत बना दिया गया है। वहीं, हिंदी भाषी राज्यों में भी रोजगार के अवसर केवल मजदूरी या राजनीति तक सीमित रह गए हैं। उच्च शिक्षा, विशेषकर तकनीकी शिक्षा में, हिंदी को माध्यम के रूप में अपनाने में छात्रों की अनिच्छा स्पष्ट है।


केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2022 में मेडिकल शिक्षा को हिंदी में संचालित करने की घोषणा की थी, जिसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुरू किया। लेकिन, मध्य प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में किसी भी छात्र ने हिंदी में परीक्षा नहीं दी है। इस राज्य में हिंदी में मेडिकल शिक्षा के लिए 10 करोड़ रुपये खर्च कर किताबें छापी गई थीं, जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे। हालांकि, कॉलेजों में पढ़ाई के तरीके में कोई बदलाव नहीं आया है।


अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के चलते, छात्रों के लिए हिंदी में परीक्षा देना संभव नहीं हो पा रहा है। इस प्रकार, हिंदी में मेडिकल शिक्षा का प्रयास अब तक असफल साबित हो रहा है। यही स्थिति इंजीनियरिंग शिक्षा के लिए भी है। जब तक प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में हिंदी को माध्यम के रूप में नहीं अपनाया जाएगा, तब तक तकनीकी शिक्षा में हिंदी का उपयोग संभव नहीं होगा।