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ED की कार्रवाई: क्रिकेट और फिल्मी सितारों की संपत्ति अटैच, जानें क्या होगा आगे?

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने 1xBet ऑनलाइन बेटिंग ऐप मामले में कई क्रिकेटरों और फिल्मी हस्तियों की संपत्ति को अटैच किया है। इस कार्रवाई में युवराज सिंह, सोनू सूद, और उर्वशी रौतेला जैसे नाम शामिल हैं। जानें कि अटैचमेंट का क्या अर्थ है और क्या ED इन संपत्तियों को बेच या नीलाम कर सकती है। इस लेख में हम इस मामले की पूरी जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
 

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की कार्रवाई


एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने 1xBet ऑनलाइन बेटिंग ऐप से जुड़े मामले में अपनी कार्रवाई को तेज़ कर दिया है। इस कार्रवाई के तहत, कई प्रसिद्ध क्रिकेटरों और फिल्मी हस्तियों की करोड़ों रुपये की संपत्ति को अटैच किया गया है। इसमें युवराज सिंह, रॉबिन उथप्पा, सोनू सूद, उर्वशी रौतेला, मिमी चक्रवर्ती, अंकुश हाजरा और नेहा शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है: क्या ED वास्तव में इन अटैच की गई संपत्तियों को बेच सकती है? आइए इस प्रश्न का उत्तर समझते हैं।


किसकी संपत्ति अटैच की गई और कितनी?

हाल की कार्रवाई में, ED ने ₹7.93 करोड़ की संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच किया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, युवराज सिंह से जुड़ी ₹2.5 करोड़, रॉबिन उथप्पा की ₹8.6 लाख, सोनू सूद की ₹1 करोड़ और उर्वशी रौतेला (उनकी मां के नाम पर) से जुड़ी ₹2.02 करोड़ की संपत्ति अटैच की गई है। इसके अतिरिक्त, मिमी चक्रवर्ती की ₹59 लाख, अंकुश हाजरा की ₹47.20 लाख और नेहा शर्मा की ₹1.26 करोड़ की संपत्ति भी अटैच की गई है। यह पहली बार नहीं है जब ED ने इस मामले में कार्रवाई की है; इससे पहले, शिखर धवन से जुड़ी ₹4.55 करोड़ और सुरेश रैना से जुड़ी ₹6.64 करोड़ की संपत्ति भी अटैच की गई थी। अब इस मामले में अटैच की गई संपत्तियों का कुल मूल्य ₹19 करोड़ से अधिक हो गया है।


अटैचमेंट का अर्थ क्या है?

अटैचमेंट का अर्थ ज़ब्ती नहीं होता है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 5 के तहत, यदि ED को संदेह है कि कोई संपत्ति मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है, तो वह संपत्ति को 180 दिनों तक अस्थायी रूप से अटैच कर सकती है। इस अवधि के दौरान, संपत्ति का मालिक तकनीकी रूप से संपत्ति का मालिक बना रहता है और उसका उपयोग जारी रख सकता है। हालांकि, वे इसे बेच, ट्रांसफर या गिरवी नहीं रख सकते। इसके अलावा, अस्थायी अटैचमेंट तब तक फाइनल नहीं होता जब तक इसे मंज़ूरी नहीं मिल जाती। 180 दिनों के भीतर, ED को मामले को निर्णायक प्राधिकरण के सामने पेश करना होता है। यदि प्राधिकरण अटैचमेंट की पुष्टि करता है, तो ED संपत्ति पर फिज़िकल कब्ज़ा कर सकती है। यदि अटैचमेंट कन्फर्म नहीं होता है, तो संपत्ति को रिलीज़ करना होगा।


क्या ED इन प्रॉपर्टीज़ को बेच या नीलाम कर सकती है?

ED जांच या ट्रायल के दौरान अटैच की गई प्रॉपर्टीज़ को बेच या नीलाम नहीं कर सकती। बिक्री या नीलामी केवल PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम) कोर्ट में ट्रायल खत्म होने के बाद ही संभव है। ऐसा तब होता है जब कोर्ट यह निर्णय लेता है कि प्रॉपर्टी वास्तव में अपराध से प्राप्त आय है। यदि आरोपी दोषी पाया जाता है, तो अटैच की गई प्रॉपर्टीज़ को सरकार औपचारिक रूप से ज़ब्त कर लेती है। नीलामी से प्राप्त राशि फिर सरकारी खजाने में जमा कर दी जाती है।