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अनिरुद्धाचार्य का विवाद: अविवाहित महिलाओं पर टिप्पणी से मचा बवाल

वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने हाल ही में 25 वर्ष या उससे अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं को 'स्वच्छंद' कहकर विवाद खड़ा किया। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं, जिसके बाद उन्होंने माफी मांगी। अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि उनका इशारा केवल कुछ महिलाओं की ओर था और उनके शब्दों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। यह मामला धार्मिक वक्ताओं की जिम्मेदारी और उनके शब्दों के प्रभाव पर सवाल उठाता है।
 

अनिरुद्धाचार्य का विवादास्पद बयान

वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में, उन्होंने 25 वर्ष या उससे अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं को 'स्वच्छंद' कहकर एक विवाद खड़ा कर दिया। इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं, जिससे न केवल उनके अनुयायी बल्कि आम जनता भी नाराज हुई। इसके बाद, उन्होंने एक वीडियो संदेश में माफी मांगी।


अविवाहित महिलाओं पर विवादास्पद टिप्पणी

एक कार्यक्रम के दौरान, अनिरुद्धाचार्य ने कम उम्र में शादी करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि 25 साल की उम्र पार कर चुकी अविवाहित महिलाएं शादी के लिए उपयुक्त नहीं होतीं, क्योंकि इस उम्र तक उनके 'कई रिश्ते' हो चुके होते हैं। उनके शब्दों में, 'लड़की लाते हैं 25 साल की। अब 25 वर्ष की लड़की चार जगह मुंह मार ली होती है। सब नहीं, पर बहुत।' इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीव्र विवाद को जन्म दिया।


अनिरुद्धाचार्य की सफाई और माफी

विवाद बढ़ने के बाद, अनिरुद्धाचार्य ने एक वीडियो जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, 'मेरा इशारा कुछ महिलाओं की ओर था, सभी की ओर नहीं।' उन्होंने यह भी दावा किया कि वायरल वीडियो को जानबूझकर संपादित किया गया है, जिससे उनके शब्दों का गलत अर्थ निकाला गया।


अनिरुद्धाचार्य का विवादों से पुराना नाता

यह पहली बार नहीं है जब अनिरुद्धाचार्य विवादों में आए हैं। उनकी हाजिरजवाबी और बोलचाल की शैली अक्सर चर्चा का विषय बनती है। 'बिग बॉस' में उनकी उपस्थिति और वहां के व्यवहार ने भी विवाद खड़ा किया था। इस बार, उनके बयान ने न केवल उनके अनुयायियों बल्कि आम जनता में भी बहस छेड़ दी है।


सोशल मीडिया पर बहस जारी

अनिरुद्धाचार्य की माफी और उनके वीडियो के 'एडिटेड' होने के दावे ने इस विवाद को नया मोड़ दिया है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि उनका यह स्पष्टीकरण जनता और उनके अनुयायियों को कितना संतुष्ट करता है। सोशल मीडिया पर बहस जारी है, और यह मामला धार्मिक वक्ताओं की जिम्मेदारी और उनके शब्दों के प्रभाव पर सवाल उठाता है।