अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद हवाई सुरक्षा पर चिंता
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की रिपोर्ट
Ahmedabad Plane Crash: हाल ही में एयर इंडिया के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, संसद की एक रिपोर्ट ने हवाई सुरक्षा और दुर्घटना जांच के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यह रिपोर्ट मार्च 2025 में प्रस्तुत की गई थी और इसमें एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) को मिलने वाले कम फंड पर सवाल उठाए गए हैं।
फंड की अपर्याप्तता
पर्यटन, परिवहन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि हवाई सुरक्षा और दुर्घटना जांच के लिए सरकार द्वारा जारी किया गया फंड अत्यंत अपर्याप्त है। विशेष रूप से, DGCA के लिए 30 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि AAIB को केवल 20 करोड़ रुपये और BCAS को 15 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
दुर्घटना की जांच
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस कम आवंटन के कारण AAIB और BCAS जैसे महत्वपूर्ण निकायों को कार्य में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। AAIB वर्तमान में अहमदाबाद विमान दुर्घटना की जांच कर रहा है, जिसमें एक एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिससे 242 यात्रियों और क्रू सदस्यों सहित 29 लोगों की जान चली गई थी।
एविएशन उद्योग की वृद्धि
एविएशन इंडस्ट्री में तेजी से वृद्धि
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में एविएशन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। 2014 में 74 हवाई अड्डे थे, जो अब 2022 तक 147 हो चुके हैं, और 2024-25 तक 220 हवाई अड्डों का लक्ष्य है। इस वृद्धि के साथ-साथ सुरक्षा और दुर्घटना जांच के लिए वित्तीय संसाधनों का भी विस्तार होना चाहिए, ताकि सभी हवाई अड्डों पर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
कर्मचारियों की कमी
मुख्य निकायों में कर्मचारियों की कमी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रमुख हवाई क्षेत्र निगरानी और सुरक्षा निकायों में कर्मचारियों की भारी कमी है। DGCA में 53%, BCAS में 35% और AAI में 17% पद खाली हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि न केवल संसाधनों की कमी है, बल्कि कर्मचारियों की भी कमी है, जो एयरपोर्ट्स और हवाई सुरक्षा की स्थिति को संभाल सकें।
सरकार की कार्रवाई की आवश्यकता
क्या सरकार इसे गंभीरता से लेगी?
यह रिपोर्ट भारत में हवाई सुरक्षा और दुर्घटना जांच के ढांचे में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सिद्धांत से ज्यादा कार्यवाही करती है और बजट आवंटन को बढ़ाती है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।