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उस्ताद अमजद अली खान का 79वां जन्मदिन: संगीत की दुनिया में उनकी अनमोल विरासत

उस्ताद अमजद अली खान, जो आज 79 वर्ष के हो गए हैं, ने हिंदुस्तानी संगीत में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। उनके जीवन की रोचक बातें, संगीत की विरासत और उनके द्वारा रचित रागों के बारे में जानें। अमजद अली खान की यात्रा, उनके परिवार और उनके वैश्विक प्रदर्शन के बारे में जानकर आप उनकी कला की गहराई को समझ सकेंगे।
 

उस्ताद अमजद अली खान का जन्मदिन

प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान आज, 09 अक्टूबर को, अपने 79वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत के कई प्रसिद्ध रागों के साथ-साथ नए रागों का भी निर्माण किया है। केवल 12 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपनी पहली संगीत प्रस्तुति देकर सभी को अपनी प्रतिभा से प्रभावित किया। अमजद अली खान ने एक ऐसे वाद्य यंत्र के माध्यम से भारतीय संगीत को समृद्ध किया है, जो ईरान से लाए गए रबाब के समान है, लेकिन इसमें भारतीय संगीत के अनुरूप कुछ परिवर्तन किए गए हैं। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर अमजद अली खान के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं...


जन्म और परिवार

अमजद अली खान का जन्म 09 अक्टूबर 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। वे संगीत के सेनिया बंगश घराने से संबंधित हैं। उनके पिता, उस्ताद हाफिज अली खान, ग्वालियर राज दरबार के एक प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे। अमजद को संगीत की यह विरासत अपने परिवार से मिली। बचपन से ही उन्हें संगीत का माहौल मिला। उल्लेखनीय है कि केवल 10 वर्ष की आयु में, उन्होंने यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो और भारतीय राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के समक्ष सरोद वादन किया था।


नए रागों का सृजन

अमजद अली खान ने हिंदुस्तानी संगीत के कई प्रसिद्ध रागों के साथ-साथ नए रागों का भी निर्माण किया है। उन्होंने अन्य संगीतकारों की धुनों को अपने संगीत में समाहित किया है। सेनिया बीनकर घराने की शुद्धता को बनाए रखते हुए, उन्होंने सुहाग भैरव, हरिप्रिया, मंदसमीर किरण रंजनी और विभावकारी चन्द्रध्वनि जैसे नए रागों का सृजन किया।


वैश्विक प्रदर्शन

अमजद अली खान ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में राग प्रियदर्शनी समर्पित किया। उन्होंने महात्मा गांधी की 120वीं जयंती पर 'राग बापू कौस' की रचना की थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रद्धांजलि के तौर पर कमलश्री समर्पित किया। वे विश्वभर के कई प्रमुख संगीत केंद्रों जैसे हाउस ऑफ कॉमन्स, फ्रैंकफर्ट का मोजार्ट हॉल, रॉयल अल्बर्ट हॉल, कैनेडी सेंटर, ऑस्ट्रेलिया का सेंट जेम्स पैलेस और ओपेरा हाउस में प्रदर्शन कर चुके हैं।


व्यक्तिगत जीवन

अमजद अली खान ने भरतनाट्यम नृत्यांगना शुभालक्ष्मी को अपना जीवनसाथी बनाया। उनकी पहली मुलाकात 1974 में कोलकाता में कला संगम कार्यक्रम के दौरान हुई थी, जहां दोनों ने स्टेज परफॉर्मेंस दिया था। इसके बाद उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई, लेकिन शादी के लिए उन्हें लगभग 2 साल का इंतजार करना पड़ा। 1976 में, अमजद अली खान ने शुभालक्ष्मी से विवाह किया और उनके दो बेटे, अमान अली बंगश और अयान अली बंगश हैं।