कुमार सानू ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की याचिका, AI से बने कंटेंट पर रोक की मांग
कुमार सानू की कानूनी लड़ाई
Kumar Sanu: मशहूर गायक कुमार सानू ने अपने नाम और छवि के अधिकारों की सुरक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने याचिका में मांग की है कि उनके नाम, आवाज़, गायन शैली और कलात्मक व्यक्तित्व का बिना अनुमति उपयोग रोका जाए। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा 13 अक्टूबर को करेंगे।
अनधिकृत उपयोग पर रोक की मांग
कुमार सानू ने वकीलों शिखा सचदेवा और सना रईस खान के माध्यम से याचिका दायर की है, जिसमें कॉपीराइट कानून के तहत उनके नैतिक और रचनात्मक अधिकारों की रक्षा की गुहार लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि उनके नाम, तस्वीर, हस्ताक्षर, आवाज़ और गायन शैली का अनधिकृत उपयोग हो रहा है, जो उनके व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन है।
AI से बने वीडियो और GIF का दुरुपयोग
गायक ने आरोप लगाया है कि AI द्वारा निर्मित वीडियो, ऑडियो और GIF के माध्यम से उनकी छवि का दुरुपयोग किया जा रहा है। इनका उपयोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर किया जा रहा है, कभी आर्थिक लाभ के लिए और कभी मज़ाक या अपमानजनक उद्देश्यों के लिए।
आर्थिक लाभ का आरोप
याचिका में यह भी कहा गया है कि इस प्रकार की सामग्री को सोशल मीडिया पर अपलोड कर क्लिक और व्यूज़ के माध्यम से राजस्व अर्जित किया जा रहा है। यह एक धोखाधड़ी जैसा कृत्य है, जिस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए। अदालत से प्रतिवादियों पर निषेधाज्ञा लगाने का अनुरोध किया गया है ताकि उनकी पहचान या कार्य का बिना अनुमति उपयोग न हो सके।
सेलिब्रिटी की अदालत में पहुंचने की परंपरा
यह पहली बार नहीं है जब किसी कलाकार ने अपने व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा के लिए अदालत का रुख किया है। इससे पहले भी अमिताभ बच्चन, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, करण जौहर और अभिषेक बच्चन जैसे सितारे इसी तरह की याचिकाएं दायर कर चुके हैं।
AI तकनीक की बढ़ती चुनौतियाँ
यह मामला दर्शाता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से बनी सामग्री कलाकारों के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही है। बिना अनुमति उनकी आवाज़ और छवि की नकल कर सामग्री तैयार करना उनके व्यक्तिगत और पेशेवर अधिकारों का उल्लंघन है।
कलाकारों के अधिकारों की रक्षा की महत्वपूर्ण लड़ाई
कुमार सानू की यह पहल न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए है, बल्कि उन सभी कलाकारों के लिए एक उदाहरण भी है, जिनकी पहचान और कलात्मकता पर AI और डिजिटल तकनीक के माध्यम से खतरा मंडरा रहा है। अदालत का फैसला इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है।