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कौन हैं लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई, जिन्हें 2025 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला?

साल 2025 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार हंगरी के लेखक लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई को उनके उपन्यास 'हर्श्ट 07769' के लिए दिया जाएगा। यह उपन्यास सामाजिक अराजकता और हिंसा के बीच एक छोटे शहर का चित्रण करता है। क्रास्ज़्नाहोरकाई की लेखन शैली उन्हें अन्य महान लेखकों के समान खड़ा करती है। इस लेख में उनके जीवन, लेखन और पुरस्कार राशि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
 

नोबेल पुरस्कार 2025 की घोषणा

Nobel Prize 2025: साल 2025 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार हंगरी के प्रसिद्ध लेखक लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई (Laszlo Krasznahorkai) को प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें उनके चर्चित उपन्यास 'हर्श्ट 07769' (Herscht 07769) के लिए दिया जा रहा है, जिसे 'एक उत्कृष्ट समकालीन जर्मन उपन्यास' माना गया है। इस कृति में एक छोटे थुरिंजियन शहर की सामाजिक अराजकता, हिंसा और आगजनी का गहन चित्रण किया गया है।


लेखन की अनोखी शैली

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई अपनी विशेष लेखन शैली, गहन दार्शनिक दृष्टिकोण और जटिल वाक्यों के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाओं की तुलना अक्सर फ्रांज काफ्का और थॉमस बर्नहार्ड जैसे महान लेखकों से की जाती है, जिनकी कृतियों में बेतुकेपन, आध्यात्मिक आत्मचिंतन और विचित्र कल्पना का अद्भुत मिश्रण होता है।


मध्य यूरोपीय परंपरा का महान लेखक

'मध्य यूरोपीय परंपरा का महान महाकाव्य लेखक'

नोबेल समिति ने यह घोषणा की है कि क्रास्ज़्नाहोरकाई को मध्य यूरोपीय परंपरा के 'महान महाकाव्य लेखक' के रूप में सम्मानित किया जा रहा है। समिति के अनुसार, उनका लेखन 'काफ्का से थॉमस बर्नहार्ड तक की साहित्यिक विरासत का विस्तार' करता है। उन्हें जो उपन्यास 'हर्श्ट 07769' के लिए यह पुरस्कार मिला है, वह जोहान सेबेस्टियन बाख की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित है। यह रचना दर्शाती है कि “मानव भावनाओं में आतंक और सौंदर्य किस प्रकार एक साथ सह-अस्तित्व रखते हैं।


पुरस्कार राशि और दावेदारी

पुरस्कार राशि और दावेदारी

इस साहित्यिक नोबेल पुरस्कार के साथ लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग £870,000) की पुरस्कार राशि दी जाएगी। इस बार की दौड़ में चीन की लेखिका कैन जू (Can Xue) भी प्रमुख दावेदारों में शामिल थीं। कैन जू पिछले वर्ष भी इस पुरस्कार की दौड़ में थीं, लेकिन तब यह सम्मान दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग (Han Kang) को मिला था।


हंगरी से विश्व साहित्य तक की यात्रा

हंगरी से विश्व साहित्य तक की यात्रा

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई का जन्म 1954 में हंगरी और रोमानिया की सीमा पर स्थित ग्युला नामक छोटे कस्बे में हुआ था। उन्होंने अपने साहित्यिक सफर की शुरुआत साधारण परिस्थितियों से की थी। उन्हें पहली बार अंतरराष्ट्रीय पहचान 1985 में अपने उपन्यास 'सतन्तांगो (Satantango)' से मिली। यह रचना एक ढहते हुए हंगरी गांव के जीवन का निराशाजनक, लेकिन काव्यात्मक चित्रण थी, जिसने उन्हें यूरोपीय साहित्य में विशिष्ट स्थान दिलाया।