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क्या 'तू मेरी मैं तेरा' में है रोमांस का जादू? जानें कार्तिक और अनन्या की फिल्म की सच्चाई

कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे की नई फिल्म 'तू मेरी मैं तेरा' एक रोमांटिक कॉमेडी है जो क्रिसमस 2025 पर रिलीज हुई है। इस फिल्म में विदेशी लोकेशनों और चमकदार विजुअल्स के साथ-साथ पारिवारिक ड्रामा भी है। हालांकि, इसकी कहानी पुरानी और सतही लगती है, जिससे दर्शकों का भावनात्मक जुड़ाव नहीं हो पाता। क्या यह फिल्म युवा दर्शकों को भाएगी या गहरे रोमांस की तलाश करने वालों को निराश करेगी? जानें पूरी समीक्षा में।
 

फिल्म की समीक्षा: 'तू मेरी मैं तेरा'


TMMTMTTM समीक्षा: बॉलीवुड के अभिनेता कार्तिक आर्यन और अभिनेत्री अनन्या पांडे की रोमांटिक कॉमेडी 'तू मेरी मैं तेरा' क्रिसमस 2025 पर रिलीज हुई है। यह फिल्म विदेशी लोकेशनों, आकर्षक विजुअल्स और पारिवारिक ड्रामे से भरी हुई है, लेकिन इसकी भावनाएं केवल दिखावे तक सीमित रह जाती हैं, जैसे Pinterest पर सुंदर तस्वीरें जो देखने में तो अच्छी लगती हैं, लेकिन छूने पर खाली होती हैं।


कहानी और निर्देशन


समीर विद्वांस द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अमीर लड़के रे (कार्तिक) और मध्यमवर्गीय रूमी (अनन्या) की प्रेम कहानी दिखाई गई है। दोनों छुट्टियों के दौरान मिलते हैं, बार-बार टकराते हैं, झगड़ते हैं और जल्दी ही प्यार में पड़ जाते हैं। धर्मा प्रोडक्शंस की छाप हर जगह नजर आती है, जैसे शानदार सेट, चमकीले रंग, ग्लैमरस लोकेशंस और पारिवारिक मेलोड्रामा।


हालांकि, कहानी पुरानी और सतही लगती है। संघर्ष कमजोर हैं, जैसे अमेरिका जाना या परिवार की जिद देखना। भावनात्मक उतार-चढ़ाव की कमी के कारण दर्शक जुड़ नहीं पाते। फिल्म अधिकतर चतुर और आधुनिक दिखने की कोशिश करती है, लेकिन देसी दिल की बात अधूरी रह जाती है।


अभिनय और केमिस्ट्री


कार्तिक आर्यन अपने पुराने अंदाज में नजर आते हैं। वे मजाकिया और आकर्षक हैं, लेकिन कभी-कभी ओवरएक्टिंग कर जाते हैं। वहीं, अनन्या पांडे संयमित और बेहतर लगी हैं। हालांकि, दोनों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री में वह जादू नहीं है जो रोमांस को यादगार बना सके।


रोमांटिक सीन जबरदस्ती कोरियोग्राफ्ड लगते हैं, और चुंबन में गर्माहट की कमी है। नीना गुप्ता और जैकी श्रॉफ सपोर्टिंग रोल में बेहतरीन हैं। उनकी मौजूदगी फिल्म को असली भावनाएं देती है और कहानी को आगे बढ़ाती है।


कमियां और खूबियां


दोनों के संवाद कभी हंसाते हैं तो कभी अटपटे लगते हैं। मेटा ह्यूमर और नारीवाद पर टिप्पणियां गहराई देने की कोशिश करती हैं, लेकिन सतही रह जाती हैं। म्यूजिक अच्छा है, और विजुअल्स तथा लोकेशंस शानदार हैं। लेकिन सबसे बड़ी कमी भावनात्मक जुड़ाव की है।


यह फिल्म हल्का मनोरंजन प्रदान करती है, युवा दर्शकों को भा सकती है, लेकिन गहरे रोमांस या यादगार कहानी की तलाश करने वालों को निराश कर सकती है। यह एक चमकदार रैपिंग में लिपटा तोहफा है, लेकिन अंदर कुछ खास नहीं है।