×

क्या भारत रूस से तेल आयात बंद कर सकता है? SBI की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

भारतीय स्टेट बैंक की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है, तो इसके तेल आयात पर खर्च में तेजी से वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें 10% तक बढ़ सकती हैं। 2022 में रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने रूसी तेल की खरीद में वृद्धि की है। जानें कि भारत ने अपने तेल आपूर्ति स्रोतों को कैसे विविधित किया है और भविष्य में क्या चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।
 

SBI का तेल आयात पर विश्लेषण

SBI On Oil Import Bill: भारतीय स्टेट बैंक द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि यदि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है, तो देश के तेल आयात पर होने वाला वार्षिक खर्च तेजी से बढ़ सकता है। रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि यदि वित्त वर्ष 2025-26 के शेष समय में रूस से तेल आयात रोक दिया जाए, तो कीमतों में वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2026 में ईंधन बिल लगभग 9 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2027 में लगभग 11.7 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है।


वैश्विक कीमतों पर प्रभाव

वैश्विक कीमतों पर असर

रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि सभी देश रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद कर दें और कोई अन्य बड़ा उत्पादक अपने उत्पादन में वृद्धि न करे, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें लगभग 10% तक बढ़ सकती हैं।


भारत की रूस पर निर्भरता

रूस से बढ़ी भारत की निर्भरता

2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने मास्को पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इसके बावजूद, भारत ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूसी तेल की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की। रूस ने कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तय कर दी, जिससे भारत को सस्ते दामों पर आपूर्ति मिली।

वित्त वर्ष 2020 में भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी केवल 1.7% थी, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 35.1% हो गई। मात्रा के हिसाब से, भारत ने वित्त वर्ष 2025 में कुल 245 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) तेल आयात में से 88 एमएमटी रूस से खरीदा। इससे पहले इराक भारत का प्रमुख आपूर्तिकर्ता था, जबकि सऊदी अरब और यूएई क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर थे।


आपूर्ति के स्रोतों का विविधीकरण

आपूर्ति स्रोतों का विविधीकरण

भारत ने केवल रूस से खरीद बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि तेल के स्रोतों का विस्तार भी किया है। वर्तमान में भारत लगभग 40 देशों से तेल मंगाता है, जिनमें गुयाना, ब्राज़ील और कनाडा जैसे नए आपूर्तिकर्ता भी शामिल हैं। इससे आपूर्ति के जोखिम को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिली है।


भविष्य की चुनौतियाँ

भविष्य की चुनौतियां

एसबीआई का मानना है कि रूस से आयात बंद होने पर लागत में बढ़ोतरी का दबाव स्पष्ट होगा, लेकिन भारत का विस्तृत आपूर्ति नेटवर्क और अन्य देशों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध इस झटके को कुछ हद तक संतुलित कर सकते हैं। फिर भी, रूसी निर्यात में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के बढ़ने से पेट्रोलियम उत्पादों की लागत पर असर पड़ना तय है।